कोविड डेथ गाइडलाइंस हुई जारी- अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आने के 30 दिन के भीतर होती है मौत तो माना जाएगा कोविड डेथ

टीआरपी डेस्क। कोविड डेथ (Covid Death) कब माना जाएगा? इसकी जानकारी केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को दी है। सरकार ने जानकारी दी है कि स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर ने कोविड डेथ सर्टिफिकेट (Covid Death Certificate) को लेकर गाइडलाइंस जारी कर दीं हैं। इसके तहत अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आने के 30 दिन के भीतर अगर मौत हो जाती है तो उसे कोविड डेथ माना जाएगा।

गाइडलाइंस के मुताबिक, आरटीपीसीआर, मॉलिक्यूलर, रैपिड एंटीजन या किसी दूसरे टेस्ट से संक्रमण की पुष्टि होती है तो उसे कोविड केस माना जाएगा। सरकार ने बताया है कि आईसीएमआर की स्टडी में सामने आया है कि 95% मौतें रिपोर्ट पॉजिटिव आने के 25 दिन के भीतर हो जाती हैं।

कोविड डेथ कब माना जाएगा? इस पर सरकार ने बताया, ‘रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अगर 30 दिन के भीतर किसी मरीज की मौत हो जाती है, तो उसे कोविड डेथ माना जाएगा। फिर वो मौत भले ही अस्पताल में हुई हो या घर पर।’ हालांकि, सरकार ने ये भी कहा कि अगर किसी मरीज की मौत 30 दिन के बाद होती है तो उसे भी गाइडलाइंस के अनुसार कोविड डेथ ही माना जाएगा।

गाइडलाइंस के अनुसार, अगर किसी कोरोना मरीज की मौत जहर से, आत्महत्या से, हत्या से या किसी दुर्घटना से हो जाती है तो उसे कोविड डेथ नहीं माना जाएगा। सरकार ने बताया, ‘अगर किसी कोरोना मरीज की घर या अस्पताल में मौत होती है तो रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ एक्ट 1969 की धारा 10 के तहत जो फॉर्म-4 और 4ए जारी किया जाएगा, उसमें मौत का कारण कोविड-19 डेथ लिखा होगा।’ सरकार ने बताया कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया इसको लेकर जल्द ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चीफ रजिस्ट्रार के लिए जरूरी गाइडलाइंस जारी करेंगे।

गाइडलाइंस के मुताबिक, अगर मृतक के परिजन डेथ सर्टिफिकेट पर लिखे मौत के कारण से संतुष्ट नहीं होते हैं तो ऐसे मामलों में फिर जिला स्तर पर एक कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, सीएमओ, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल या मेडिसिल विभाग के हेड और सब्जेक्ट एक्सपर्ट होंगे जो ‘कोविड-19 डेथ का आधिकारिक दस्तावेज’ जारी करेंगे।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने पिछले हफ्ते ही कोरोना से होने वाली मौतों पर मुआवजे और डेथ सर्टिफिकेट के मामले में हलफनामा दाखिल करने में देरी होने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी।

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