कोविशील्ड
Image source : google

टीआरपी डेस्क। काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने डेल्टा वेरिएंट (B1.617.2) के खिलाफ एंटीबॉडी के असर को लेकर एक स्टडी की। इस स्टडी में सामने आया कि कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन के दोनों डोज लेने वालों के 16.1% सैम्पल में डेल्टा वैरिएंट (B1.617.2) के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं दिखी। वहीं, एक डोज लेने वाले 58.1% लोगों में एंटीबॉडी (Antibody) नहीं थी।

यह भी पढ़े: बड़ी खबर: कोरोना से ठीक होने के बाद गल रहीं हड्डियां, मुंबई में मिले तीन केस, जानें क्या है एवैस्कुलर नेक्रोसिस

एंटीबॉडी नहीं दिखना और एंटीबॉडी नहीं होना, दोनों अलग बात

हालांकि, वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (Christian Medical College) में माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के पूर्व हेड डॉ. जैकब जॉन ने बताया कि “एंटीबॉडी नहीं दिखना और एंटीबॉडी नहीं होना, दोनों एक ही बात नहीं है। हो सकता है कि एंटीबॉडी हो लेकिन वो इतनी कम हो कि उसे डिटेक्ट कर पाना मुश्किल हो, लेकिन उसके बाद भी यह व्यक्ति को गंभीर संक्रमण से बचा सकती है।”

यह भी पढ़े: कोविशील्ड लगवाने वाले नहीं जा सकेंगे यूरोप, टीके को अब तक वैक्सीन पासपोर्ट की नहीं मिली मान्यता

भारत में कुछ लोगों को कोविशील्ड के बूस्टर डोज की जरूरत

वहीं डॉ. जॉन ने आगे कहा कि “ये मानते हुए कि इस स्टडी के लिए जो सीरम लिया गया वो स्वस्थ व्यक्तियों से था तो जिन लोगों में एंटीबॉडी नहीं देखी गई, वो बुजुर्ग हैं या उन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है, क्योंकि उनका इम्युन रिस्पॉन्स कम है। इसका मतलब यह हुआ कि 65 साल से ऊपर के पुरुष (महिलाओं में एंटीबॉडी देखी गई है), जो डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हार्ट, लंग्स और किडनी की बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्हें एक तीसरा डोज भी दिया जाना चाहिए।” उनका कहना है कि इस स्टडी से पता चलता है कि भारत में कुछ लोगों को कोविशील्ड के बूस्टर डोज (Booster Dose) की जरूरत पड़ सकती है लेकिन जो लोग कोविड से ठीक हो चुके हैं। उनके लिए एक ही डोज काफी है।

यह भी पढ़े: केंद्र ने दिए 44 करोड़ कोरोना टीकों के ऑर्डर, कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक के दाम तय… 150 रु से अधिक नहीं ले सकते सर्विस चार्ज

स्टडी में खुलासा 

स्टडी में यह भी सामने आया है कि एंटीबॉडी के टाइट्रेस (Titres), जो कोरोना वायरस को मारते हैं। वह डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) के खिलाफ B1 वैरिएंट की तुलना में कम थे। B1 की तुलना में, डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी टाइट्रेस वैक्सीन की एक डोज लेने वाले लोगों में 78% कम, दो डोज लेने वालों में में 69% कम थे। इसके अलावा संक्रमित हो चुके और एक डोज लेने वालों में 66% कम थे। इसके साथ ही जिन लोगों को संक्रमण हुआ था और उन्होंने दोनों डोज लिए, उनमें 38% कम थे।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे फेसबुक, ट्विटरटेलीग्राम और वॉट्सएप पर