मोहल्ला क्लास के नाम पर स्कूलों में जुट रही है भीड़, संक्रमण के खतरे का किसी को नहीं है अहसास
मोहल्ला क्लास के नाम पर स्कूलों में जुट रही है भीड़, संक्रमण के खतरे का किसी को नहीं है अहसास

रायपुर। राजधानी रायपुर सहित अनेक स्थानों पर मोहल्ला क्लास के नाम पर बच्चों की क्लास लगाई जा रही है, इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का बिलकुल भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। जगह नहीं होने के चलते अनेक स्कूलों में भी खुले स्थान पर कक्षाएं लग रहीं हैं। टीचर्स का कहना है कि हम तो मजबूर हैं, शासन ने जो आदेश दिया है हम उसका पालन कर रहे हैं और मोहल्ला क्लासेस चला रहे हैं।

तस्वीरें राजधानी के प्राथमिक शाला रायपुरा की है। डीडी नगर थाने के पास मोहल्ला क्लास चलाने के नाम पर हर रोज बच्चों की भीड़ स्कूल पहुंच रही है, जबकि अभी कोरोना संक्रमण समाप्त हुआ ही नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर गई नहीं है और डब्ल्यूएचओ ने तीसरी लहर की आने की संभावना भी जाहिर कर दी है, यह भी चेतावनी दी गई है कि तीसरी लहर बच्चों को ज्यादा प्रभावित करेगी, इसके बावजूद शिक्षा विभाग की मंशा क्या है, यह चित्र देखकर साफ समझा देखा जा सकता है।

सरकार का कार्यक्रम है “पढाई तुंहर दुआर”

शिक्षा विभाग का स्कूलों को निर्देश है कि पढ़ई तुंहर दुआर के अंतर्गत पारा मोहल्ला क्लास द्वारा बच्चों का आंकलन शिक्षा सत्र में तीन बार बेस लाइन, मिड लाइन और एण्ड लाइन में होगा। बेस लाइन में सेतु पाठ्यक्रम के द्वारा पढ़ाई, मिड लाइन और एण्ड लाइन में पाठ्यपुस्कतक के पाठ्यक्रम द्वारा बच्चों की पढ़ाई होगी। बच्चों में सिखने का स्तर ग्रेडिंग के माध्यम से पता लगाया जाएगा कि बच्चा कौन से स्तर का है। साथ ही यह भी निर्देश है कि बच्चो के आकलन के अंकों को पोर्टल में दर्ज भी करना होगा। जो बच्चे फेल हों उन्हें ग्रेड के आधार पर स्तर का आकलन करना है।

स्कूल की तरह ही चल रही हैं कक्षाएं

कोरोना के संक्रमण को देखते हुए मोहल्ला क्लास का विकल्प तैयार किया गया। शुरुआत में मोहल्लों में ही एक साथ सारे बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जाने लगा। मगर आगे चलकर शिक्षकों के ऊपर सारे काम थोप दिए गए। पहले शिक्षकों की स्कूलों में उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई। इसके बाद अगर मोहल्लों में कोई स्थान नहीं मिला तो संकुल केंद्र या फिर स्कुल में ही बच्चों को बुलाकर बाहर ही खुले स्थान पर पढ़ाने का निर्देश जारी कर दिया गया। अब कहा जा रहा है कि बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर सेल्फी खींचकर भेजे जाएं।

सच तो यह है कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा सरकार की महत्वकांक्षी योजना मोहल्ला क्लासेस का ढिंढोरा पीट कर वाहवाही लूटी जा रही है और बच्चों की जान जोखिम में डालकर परिवार वाले भी मोहल्ला क्लासेस में भेजने के लिए मजबूर हैं। अधिकांश बच्चे मास्क का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। क्लास में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं कराया जा रहा है। ऐसे में यह बच्चे संक्रमण से कैसे अपनी रक्षा कर पाएंगे?

क्या कहते हैं टीचर्स…

टीचर्स का कहना कि हम तो मजबूर हैं शासन ने जो आदेश दिया हम उसका पालन कर रहे हैं और मोहल्ला क्लासेस चला रहे हैं। टीचर्स यह भी कहते हैं कि हम पूरा ध्यान रख रहे, मास्क लगा रहे हैं, सोशल डिस्टेंस का पालन करवा रहे हैं। ऐसा लगता है कि टीचर भी दबाव में स्कूलों में मोहल्ला क्लासेज के नाम पर पढ़ाने को मजबूर हैं। हालाँकि विभाग द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि जो शिक्षक इच्छुक हों वह मोहल्ला क्लास की गतिविधियों में भाग ले सकते है।

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का है निर्देश

शिक्षा विभाग रायपुर के सहायक संचालक सत्यदेव वर्मा का कहना है कि एक दिन में केवल एक ही कक्षा लगाने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहीं भी भीड़ लगने की सूचना से इंकार किया और कहा कि जहां भी मोहल्लो में जगह नहीं है, वहां स्कूल प्रांगण या फिर बड़े हॉल में क्लास लगाने को कहा गया है।

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