देवू जमीन मामला : किसान सभा ने शुरू किया 'हाई कोर्ट को पोस्टकार्ड' अभियान, जमीन वापस दिलाने किसानों ने की हाई कोर्ट से अपील
देवू जमीन मामला : किसान सभा ने शुरू किया 'हाई कोर्ट को पोस्टकार्ड' अभियान, जमीन वापस दिलाने किसानों ने की हाई कोर्ट से अपील

कोरबा। ऊर्जानगरी कोरबा में साउथ कोरिया की कंपनी DAEWOO पॉवर इंडिया लिमिटेड की जमीन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। वर्तमान में इस जमीन के सीमांकन और वहाँ की जा रही खुदाई का विरोध करने वाले संगठन किसान सभा ने यहाँ के ग्रामीणों को उनकी जमीन वापस दिलाने के लिए नई मुहिम शुरू की है। इसके तहत ग्रामीणों के माध्यम से हाई कोर्ट को पत्र लिखकर उनकी जमीन वापस दिलाने की अपील की जा रही है।

पहले सीमांकन रोका, अब जमीन को वापस पाने की मुहिम

बाईट कुछ दिनों से अलग अलग संगठन DAEWOO से प्रभावित ग्रामीणों की मदद करने के लिए ग्राम रिस्दी पहुँच रहे हैं। यहाँ हो रहे घटनाक्रम की शुरुआत से ही ग्रामीणों के साथ खड़े कम्युनिष्ट पार्टी के संगठन छत्तीसगढ़ किसान सभा ने रिस्दी गांव से ‘हाई कोर्ट को पोस्टकार्ड’ अभियान की शुरुआत की है। इसके तहत पहले ही दिन कई ग्रामीणों ने कोरबा जिला प्रशासन की मदद से DAEWOO द्वारा उनकी जमीन हड़पने की कोशिश की शिकायत की और न्यायालय से गरीबों की जमीन को छिनने से बचाने की प्रार्थना की है। छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेता जवाहर सिंह कंवर, प्रशांत झा तथा दीपक साहू की अगुवाई में ग्रामीणों के सहयोग से यह अभियान चलाया गया।

प्लांट की जगह दूसरे प्रयोजन के लिए मांगी जमीन

गौरतलब है कि अधिग्रहित जमीन पर पॉवर प्लांट लगाने में असफल होने के बाद कंपनी देवू ने बिलासपुर हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर इस भूमि का किसी अन्य औद्योगिक प्रयोजन या रियल एस्टेट व्यापार के लिए उपयोग की अनुमति मांगी है। इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि दिवालिया होने और किसानों से किये गए करार को पूरा न कर पाने के बाद देवू का इस भूमि पर कोई अधिकार नहीं बनता और भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों के तहत अब यह भूमि उन्हें लौटा दी जानी चाहिए। वैसे भी इस भूमि पर पिछले 27 सालों से उनका भौतिक कब्जा बरकरार है, जिस पर उन्हें अभी तक कृषि कार्यों के लिए बैंकों से ऋण मिल रहा है।

किसान सभा का कहना है कि देवू प्रभावित सभी ग्रामीणों द्वारा हाई कोर्ट को पोस्टकार्ड लिखे जाने के बाद कोरबा के अन्य विस्थापन प्रभावित इलाकों में भी इन ग्रामीणों के समर्थन में हाई कोर्ट को पत्र लिखे जाने का अभियान चलाया जाएगा, साथ ही आंदोलन को तेज किया जावेगा।

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