छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य को लेकर ग्लास्गो में आयोजित सम्मलेन में हुआ प्रदर्शन, पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने की जंगल को अडानी से बचाने की अपील

रायपुर। संयुक्त राष्ट्र का जलवायु सम्मेलन स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में चल रहा है। इस मौके पर दुनिया भर के पर्यावरणीय कार्यकर्त्ता एकत्र हुए हैं। इन्हीं में शामिल भारतीय कार्यकर्ताओं द्वारा हसदेव अरण्य को बचाने को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ से शुरू हुई यह मुहिम अब अंतर्राष्ट्रीय मंच तक जा पहुंची है।

ग्लासगो की सड़कों पर उतरे हज़ारों युवा कार्यकर्ता


स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन COP 26 के दौरान हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतर कर, जलवायु कार्रवाई के समर्थन में प्रदर्शन किया। इस दौरान भारतीय कार्यकर्ताओं द्वारा जो प्रदर्शन किया गया उसमे हसदेव अरण्य और उद्योगपति अडानी के नाम की तख्तियां भी नजर आयीं। अडानी का विरोध और हसदेव जंगल को बचाने की मुहिम को लेकर तख्तियां पकडे इन कार्यकर्ताओ ने प्रदर्शन किया। इनमे पर्यावरण कार्यकर्त्ता रूबी हेम्ब्रम भी थी जिसने बढ़-चढ़ कर इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

भारत सहित 27 देश हो रहे हैं शामिल

COP 26 अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में भारत उन 27 देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने सम्मेलन के पहले सप्ताह के समापन पर सतत कृषि को लेकर एक एक्शन एजेंडा पर हस्ताक्षर किए हैं। इस एजेंडा के तहत कृषि को अधिक सतत और कम प्रदूषक बनाने के लिए नई प्रतिबद्धताएं अपनाई गई हैं।

सर्वाइवल इंटरनेशनल चला रहा है मुहिम

छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य को बचाने की मुहिम कॉम लेकर चलाये जा रहे आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने बताया कि सर्वाइवल इंटरनेशनल नामक पर्यावरणीय संस्था इस आंदोलन में उनके साथ है। ग्लास्गो में चल रहे सम्मलेन में इसी संस्था द्वारा हसदेव अरण्य का मुद्दा उठाया गया है। इसके अलावा वहां पहुंचे छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के एक्टिविस्ट भी प्रदर्शन का हिस्सा बने हुए हैं। यहां प्रदर्शनकारी तख्ती लेकर सड़कों पर उतरे और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी प्रदर्शन करते दिखे।

गौरतलब है कि पिछले महीने ही हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन को लेकर वहां के मूल निवासी पैदल मार्च करके राजधानी पहुंचे हुए थे। इन्होने अपनी मांगों को लेकर सरगुजा राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की। सरकार की ओर से इन्हें आश्वासन भी मिला हैं की हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी, मगर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अलोक शुक्ला का कहना है कि इलाके में कोयला खनन की अनुमति की प्रक्रिया अब भी चल रही है।

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