रायपुर। प्राइमरी स्कूलों में शिक्षण कार्य करने वाले शिक्षकों के लिए डीएलएड ( Diploma in Elementary Education ) कोर्स की अनिवार्यता गले की फांस बन चुकी है। इस कोर्स को करने के बाद भी नेशनल इंस्टीट्यूट आफ ओपन स्कूलिंग (एनआइओएस) ने छत्तीसगढ़ के करीब चार हजार 500 शिक्षकों की अंकसूची (मार्कशीट) रोक दी है।

दरअसल, 12वीं में 45 प्रतिशत से कम अंक वाले शिक्षकों को श्रेणी सुधार करने के लिए कहा गया था। इनमें दूसरे राज्यों के ओपन स्कूल बोर्ड से श्रेणी सुधार करने वाले शिक्षकों के प्रमाण पत्र को एनआइओएस के अधिकारी मानने को तैयार नहीं हैं।

यह है पूरा मामला

केंद्र सरकार ने दो साल पहले मार्च 2019 तक सभी शिक्षकाें को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा था। इसके तहत देशभर 12 लाख 50 हजार शिक्षकों ने कोर्स में पंजीयन किया था। इसमें छत्तीसगढ़ से 55 हजार अप्रशिक्षित शिक्षक शामिल हुए थे। 12वीं में 45 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले शिक्षकों को श्रेणी सुधार करके अपनी अंकसूची को 50 प्रतिशत तक अपडेट करने के लिए कहा गया था। इनमें से प्रदेश में करीब 11 हजार अप्रशिक्षित शिक्षक ऐसे थे जिनका 12वीं में अंक 45 प्रतिशत से नीचे था। इनमें चार हजार शिक्षकों ने छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल बोर्ड या अन्य बोर्ड से, जो कि एनआइओएस से अलग हैं उनसे पंजीकृत होकर अपनी श्रेणी सुधारी है। इस श्रेणी सुधार को एनआइओएस के अधिकारी मानने को तैयार ही नहीं हैं और अंकसूची रोक दी गई है।

उत्तीर्ण होने के बाद भी अटकी अंकसूची

कई शिक्षक ऐसे भी हैं जिनकी अंकसूची ( Diploma in Elementary Education ) एनआइओएस नोयडा उत्तर प्रदेश के हेड क्वार्टर से अपडेट हो चुकी है। ऑनलाइन उन्हें अंतिम रूप से उत्तीर्ण भी बताया जा रहा है इसके बाद भी एनआइओएस अंकसूची देने में आनाकानी कर रहा है। देशभर से 12 लाख से अधिक अप्रशिक्षित शिक्षक इस कोर्स के लिए पंजीयन कराए थे।

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