DMF का डंप-03 : 13 करोड़ के कन्वेंशनल हॉल का नजर आ रहा है केवल लोहे का ढांचा, जरुरत के बिना ही लाया गया यह प्रोजेक्ट
DMF का डंप-03 : 13 करोड़ के कन्वेंशनल हॉल का नजर आ रहा है केवल लोहे का ढांचा, जरुरत के बिना ही लाया गया यह प्रोजेक्ट

कोरबा। जिले को कोयला खदानों से मिलने वाले डीएमएफ फण्ड को बगैर किसी जरुरत के किस तरह खर्च किया जाता है इसका एक नमूना यहां का आधा-अधूरा पड़ा कन्वेंशनल हॉल है। जो दूर से महज लोहे का ढांचा नजर आता है। यह निर्माण बीते दो सालों से इसी तरह ही पड़ा हुआ है। अधिकारी कोरोना काल और फंड रिलीज नहीं होने का रोना रो रहे हैं।

कोरबा छत्तीसगढ़ का ऐसा जिला है, जिसे खनिज न्यास में सबसे ज्यादा रकम मिलती है। मगर इस रकम का सबसे ज्यादा दुरूपयोग भी इसी जिले में हुआ है। एजुकेशन हब और अधूरे मल्टीलेबल पार्किंग के बाद हम बताने जा रहे हैं जिला जेल कोरबा के पास बन रहे कन्वेंशनल हॉल के बारे में। जिले के तत्कालीन कलेक्टर पी दयानन्द द्वारा यह प्रोजेक्ट सैंक्शन कराने के साथ ही इसका भूमिपूजन भी उन्हीं के द्वारा किया गया था।

हाउसिंग बोर्ड को मिली है निर्माण की जिम्मेदारी

इस अधूरे निर्माण कार्य की कहानी यह जंग लगा बोर्ड बयां कर रहा है। इस कार्य की जवाबदेही निर्माण एजेंसी छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल की है। इस बोर्ड के अनुसार कार्य की लगत 13.24 करोड़ रुपये बताई गयी है। इसके निर्माण की अवधि भी निकल चुकी है।

जरुरत नहीं फिर भी प्रोजेक्ट किया सैंक्शन

कोरबा शहर में छोटे-बड़े कार्यक्रमों के लिए अनेक भवन हैं। वैसे भी जब इस हॉल की कार्ययोजना तैयार की गई तब यहां के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित इंदिरा स्टेडियम के बाजू में विशालकाय रंगमंच भवन का निर्माण पूर्णता के कगार पर था। इस भवन का नाम राजीव गाँधी ऑडिटोरियम रखा गया है। मगर DMF के दोहन के फेर में बिना किसी जरुरत के ऐसे प्रोजेक्ट लाये गए, ताकि करोड़ों रुपयों का फंड स्वीकृत हो और “लाभ” भी कमाया जा सके। कन्वेंशनल हॉल भी इन्हीं में से एक था।

दीनदयाल सांस्कृतिक भवन का भी हो सकता था इस्तेमाल

शहर का हृदयस्थल कहे जाने वाले ट्रांसपोर्ट नगर में काफी साल पहले दीनदयाल सांस्कृतिक भवन का निर्माण किया गया था। नगर निगम की देखरेख में चलने वाला यह भवन लोगों के काफी काम भी आता था, मगर बाद में इसे अनुपयोगी और अलाभकारी बताकर निविदा पद्धति के जरिये ठेके पर दे दिया गया। आज यहां निजी मैरिज गार्डन चल रहा है। अगर शहर में कन्वेंशनल हॉल की जरुरत थी तो दीनदयाल सांस्कृतिक भवन को वापस लेकर उसका पुननिर्माण किया जा सकता था।

कलेक्टर बदले तब रुक गया काम

मिली जानकारी के मुताबिक सन 2015-16 में जब जिला खनिज न्यास बना और रकम मिलनी शुरू हुई, तब काफी बड़े निर्माण कार्य स्वीकृत कर दिए गए। उसी में यह कन्वेंशनल हॉल भी शामिल है। जिसका भूमिपूजन तो हो गया, मगर निर्माण में देरी होती चली गई, और कलेक्टर के जाने के बाद यह काम अधूरा रह गया। हालाँकि यह भी कहा जा रहा है कि कोरोना काल के चलते काम को रोकना पड़ा। मगर यह भी सच है कि इस कार्य के लिए मिलने वाले फंड को यह कहकर रोक दिया गया था कि यह फिजूलखर्ची है।

काम फिर से शुरू हुआ है : प्रभारी ईई, हुडको

गृह निर्माण मंडल, कोरबा के प्रभारी ईई परुषोत्त्तम साहू ने दूरभाष पर TRP न्यूज़ को बताया कि “यह काम क्यों रुका था, इसकी जानकारी तो उन्हें नहीं है मगर इस अधूरे निर्माण का काम फिर से शुरू हुआ है, फ़िलहाल यहां शेड बनाने का काम दो दिन पहले ही प्रारम्भ किया गया है।”

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