नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Drdo) के प्रमुख डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने देश को आश्वस्त किया है कि हमने हर तरह की मिसाइल बनने की क्षमता हासिल कर ली है। सेना को जैसी मिसाइल चाहिए, हम उन्हें बनाकर देंगे।

डीआरडीओ ने पिछले पांच सप्ताह में हाइपरसोनिक मिसाइल शौर्य, ज्यादा रेंज वाली ब्रह्मोस, परमाणु क्षमता युक्त बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी, हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट व्हीकल्स, एंटी-रेडिएशन मिसाइल रुद्रम-1 और सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज टॉरपीडो वेपन सिस्टम का सफल परीक्षण किया है।

रेड्डी बोले, छह हफ्ते में 10 परीक्षण

डॉ. रेड्डी ने बताया, बीते 40 दिनों में एक के बाद एक 10 मिसाइलों का सफल परीक्षण किया गया। हाल ही में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो 400 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक के लक्ष्य को ध्वस्त कर सकती है। डीआरडीओ प्रमुख ने बताया कि परीक्षण का मुख्य उद्देश्य मिसाइल निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।

डॉ. रेड्डी ने कहा, भारत पिछले पांच-छह सालों में मिसाइल सिस्टम के क्षेत्र में जितना आगे बढ़ा है, उससे हमें पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल हो चुकी है। मिसाइल निर्माण क्षेत्र की निजी कंपनियां भी उन्नत हो चुकी हैं। वो अब हमारे साथ साझेदारी करने में सक्षम हैं और जरूरतों के मुताबिक मिसाइल बना सकती हैं।

स्मार्ट हथियारों से दुश्मन की पनडुब्बियों पर नजर

भारत ने सैन्य अभ्यास के तहत 24 सितंबर को देश में विकसित पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है। उन्होंने कहा, 5 अक्तूबर को सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो (स्मार्ट) का सफल परीक्षण किया गया। रेड्डी ने कहा, यह हथियार प्रणाली नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता को बढ़ाएगी।

पांच साल में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली

डीआरडीओ मिसाइल क्षमता विस्तार के लिए अगले 4-5 वर्षों में पूर्ण हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली विकसित कर लेगा। यह दुनिया की मौजूदा सबसे तेज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की तुलना में दोगुनी रफ्तार से लक्ष्य को भेद सकती है। डीआरडीओ ने सात सितंबर को हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल का परीक्षण किया था।

रुद्रम-1 दुश्मन के रडार का पता लगाकर नेस्तनाबूद करने में सक्षम


हाल ही में लड़ाकू विमान से दागी गई विकिरणरोधी रुद्रम-1 मिसाइल से वायुसेना की मजबूती में और इजाफा होगा। इससे न केवल दुश्मन के रडार का पता लगाने, बल्कि उसके सर्विलांस और एयर डिफेंस सिस्टम को नेस्तनाबूद करने की क्षमता भी प्राप्त होगी। डॉ. रेड्डी ने कहा, रुद्रम की विशेषता साबित करने के लिए कुछ और परीक्षण होना बाकी है।

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