बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाने का फैसला अनसाइंटिफिक, AIIMS के डॉक्टर ने उठाए सवाल

नई दिल्ली। कोरोना से लगातार मौत के बीच एम्स की स्टडी के नतीजे बेहद उम्मीद जगाने वाले हैं। वैक्सीनेट हो चुके किसी भी शख्स की संक्रमण से मौत नहीं हुई है। हालांकि वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना संक्रमण के कुछ मामले जरूर सामने आ रहे हैं।

एक अंग्रेजी पत्रिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स की तरफ से की गई स्टडी में वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित होने वाले लोगों में से किसी की भी अप्रैल से मई के दौरान मौत नहीं हुई। खास बात यह है कि अप्रैल से मई के बीच में ही कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी और बड़ी तादाद में कोरोना मरीजों की मौत हुई थी।

जानें क्या है ‘ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन’

दरअसल, पूरी तरह वैक्सीनेट (यानी वैक्सीन की दोनों डोज लेने या सिंगल डोज वाली वैक्सीन की एक डोज) व्यक्ति अगर कोरोना से संक्रमित हो जाता है, तो इसे ‘ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन’ कहा जाता है। अप्रैल और मई के दौरान एम्स की तरफ से ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन पर की गई पहली स्टडी में पता चला कि वैक्सीने ले चुके कुछ लोगों में वायरल लोड बहुत हाई होने के बावजूद किसी की मौत नहीं हुई।

एम्स ने कुल 63 ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन के मामलों की जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए स्टडी रखी। इनमें से 36 मरीज वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे जबकि 27 ने कम से कम एक डोज। 10 मरीजों ने कोविशील्ड ली थी जबकि 53 ने कोवैक्सीन लगवाई थी। इनमें से किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई।

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