Exclusive: कोंडागांव में दो सालों में नहीं बन सका मक्का प्रोसेसिंग प्लांट... अब है इथेनॉल प्लांट लगाने की तैयारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल कोंडागांव में अब मक्का उत्पादक किसानों को लाभ दिलाने इथेनॉल प्लांट लगाया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा मां दंतेश्वरी मक्का प्रोसेसिंग व विपणन मर्यादित सहकारी समिति का गठन भी कर लिया गया है। हालांकि यह बता दें कि इससे पहले इसी स्थान पर मक्का प्रोसेसिंग प्लांट के निर्माण की योजना थी।

मक्के के स्टार्च से 18 प्रकार के बाई प्रोडक्ट बनाने की थी योजना

कोंडागांव में 20 एकड़ के भूभाग पर मक्का के प्रोसेसिंग प्लांट दिसंबर 2021 तक पूरा कर उत्पादन शुरू करने की घोषणा की गई थी। प्लांट में मक्के से स्टार्च बनाने और उससे 18 प्रकार के बाई प्रोडक्ट तैयार करने की योजना थी। मगर अब बाई प्रोडक्ट की बजाय मक्के से इथेनॉल बनाने की तैयारी है।

कोंडागांव में दो सालों में नहीं बन सका मक्का प्रोसेसिंग प्लांट... अब है इथेनॉल प्लांट लगाने की तैयारी

नए सिरे से करनी होगी सारी कवायद

कोंडागांव के इस क्षेत्र में मक्का प्रोसेसिंग प्लांट की जगह इथेनॉल प्लांट बनाने के लिए अब नए सिरे से पर्यावरण की स्वीकृति लेनी। मक्का से स्टार्च बनाने का प्लांट ग्रीन इंडस्ट्री में आता है। जबकि एथेनॉल का प्लांट रेड इंडस्ट्री के अंतर्गत आता है। दरअसल इस प्लांट से प्रदूषण फैलता है, इसलिए इस प्लांट को स्थापित करने से पहले पर्यावरणीय लोक सुनवाई आयोजित करनी होगी। इस तरह की प्रक्रिया से प्लांट के निर्माण में देरी होती है।

मेहनत के सही दाम मिलेंगे जल्द

वर्तमान में कोंडागांव जिले के 65 हजार किसान मक्के की खेती कर रहे हैं। इस प्रोसेसिंग यूनिट में मक्का बेचने के लिए 48 हजार किसानों ने पंजीयन के दौरान बतौर शेयर राशि 6 करोड़ 80 लाख रुपए जमा कराये हैं। इथेनॉल प्लांट के बन जाने से किसानों को मक्का विक्रय करने में ज्यादा परेशानी भी नहीं होगी और उन्हें उनकी मेहनत के सहीं दाम भी जल्द मिल जाएंगे।

ज्यादा लाभ को देखते हुए लिया फैसला : एम डी

मां दंतेश्वरी मक्का प्रोसेसिंग व विपणन मर्यादित सहकारी समिति के MD के एल उइके का कहना है कि एथेनॉल प्लांट लगाने का फैसला समिति ने ही लिया है।

दावा- किसानों को मिलेगा अधिक लाभ

जिला कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने बताया कि पूर्व में जो प्रोडक्ट तैयार करने की योजना थी उसकी मार्केटिंग में काफी दिक्कतें आतीं और इन प्रोडक्ट की कीमतों में भी गिरावट आने लगी है। इसके बदले में इथेनॉल का निर्माण होता है तो कंपनियां उसे हाथों हाथ उठा लेंगी। इससे किसानों को भी अच्छा लाभ मिलेगा।

इस प्लांट की अनुमति के लिए जल्द ही पत्र संबंधित विभाग को भेजा जायेगा। इथेनॉल का इस्तेमाल शराब और पेट्रोलियम पदार्थ दोनों में होता है, अतः कॉम्पिटीशन में जो भी कंपनी आगे होगी उसे इथेनॉल दिया जायेगा, उनके मुताबिक इससे किसानों को भी फायदा होगा। इस प्लांट के निर्माण में 200 करोड़ से उपर की लागत आएगी। अधिकारियों का दावा है कि अगर जल्द अनुमति मिली तो अगस्त 2022 तक यह प्लांट तैयार हो जायेगा।

हालांकि अधिकारियों का दावा है कि इस प्लांट के बनने से किसानों को अधिक लाभ मिलेगा लेकिन अचानक ही इस योजना की तस्वीर बदलने से कुछ सवाल उठ रहे हैं…

– उन 50-60 हजार शेयरधारक आदिवासी किसानों से एकत्रित लगभग 7 करोड़ की राशि का क्या सदुपयोग किया ? तथा उसके बदले विगत 2 वर्षों में उनको कितने लाभांश, बोनस या ब्याज वितरित किया गया ?
– भूमिपूजन के दो वर्ष बाद अचानक क्यों योजना में बदलाव लाया गया? कब तक प्लांट बनकर खड़ा हो जाएगा ?
– यहां एथेनॉल बनाने का फैसला मां दंतेश्वरी मक्का प्रोसेसिंग व विपणन मर्यादित सहकारी समिति के पदाधिकारियों ने किया है या सरकार में बैठे शराब लॉबी से जुड़े नौकरशाहों ने यह योजना तैयार की है?

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