भारत सरकार के एक फैसले से टल सकती थीं एक लाख मौतें- अमेरिका, ब्रिटेन में हुई स्टडी में विशेषज्ञों ने किया आकलन
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टीआरपी डेस्क। देश में कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार अब धीमी पड़ चुकी है। हालांकि अब भी तमाम विशेषज्ञ व डॉक्टर्स लगातार सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। साथ ही तीसरी लहर को लेकर चेतावनी जारी कर रहे हैं। इसके अलावा कोर्ट ने भी केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि हम तीसरी लहर से ज्यादा दूर नहीं हैं। इस बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि तीन महीने बाद देश में तीसरी लहर दस्तक दे सकती है।

एक्सपर्ट्स अनुसार एक साल और सावधान रहने की जरूरत 

मेडिकल एक्सपर्ट्स के रॉयटर्स पोल के अनुसार, अक्तूबर तक भारत में कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना जताई जा रही है। वहीं इस पोल के अनुसार लोगों को एक वर्ष और सावधान रहने की आवश्यकता है। इस पोल में दुनियाभर के 40 स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों, वायरोलॉजिस्ट, महामारी विज्ञानियों और प्रोफेसरों को शामिल किया गया। इनसे 3 से 17 जून के बीच प्रतिक्रिया ली गई।

सर्वे के अनुसार 85 फीसदी से अधिक यानी 24 में से 21 ने कहा कि तीसरी लहर अक्तूबर तक आएगी। इनमें से तीन ने अगस्त की शुरुआत और 12 ने सितंबर में इसके आने की संभावना जताई। बाकी तीन ने नवंबर से फरवरी के बीच इसके आने की बात कही।

70 फीसदी से ज्यादा विशेषज्ञों यानी 34 में से 24 ने कहा कि तीसरी लहर को दूसरी की तुलना में बेहतर ढंग से काबू किया जाएगा। मौजूदा लहर कहीं ज्यादा जानलेवा साबित हुई। इस दौरान स्वास्थ्य व्यस्था में काफी कमी देखने को मिली। पहली लहर के मुकाबले यह ज्यादा लंबी भी रही है। ऐसे में सरकार दूसरी लहर के भयावाह अनुभवों के मद्देनजर संभावित तीसरी लहर के प्रकोप से बचने के लिए तमाम तरह के सुरक्षा उपायों को बढ़ाने में जुटी है। वहीं तेजी से टीकाकरण अभियान को आगे बढ़ाने पर जोर दे रही है।

तीसरी लहर पर ज्यादा नियंत्रण होगा

वहीं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर कहा है कि नई लहर पर ज्यादा नियंत्रण होगा। इसके आने तक काफी लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका होगा। दूसरी लहर से भी कुछ हद तक प्राकृतिक प्रतिरक्षा मिलेगी।

हालांकि बच्चों और 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर संभावित तीसरी लहर के प्रभाव पर विशेषज्ञों की राय अलग-अलग दिख रही है। 40 में से 26 विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चों को सबसे अधिक खतरा होगा, वहीं शेष 14 ने कहा कि ऐसा नहीं होगा।

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