रायपुर : ठिठुरती ठंड और लगातार खराब मौसम के बीच भी नया रायपुर में NRDA दफ्तर के सामने किसानों का आंदोलन जारी है। इस आंदोलन में दिन ब दिन किसानों की संख्या और सक्रियता बढ़ती जा रही है। आंदोलन के दौरान दिन में किसान परिवार के सदस्य लगातार धरना स्थल पर प्रदर्शन करते हैं और रात में भी किसान परिवार आंदोलन स्थल पर ही बैठे रहते हैं। इस आंदोलन के तहत धरना प्रदर्शन का आरंभ 3 जनवरी 2022 को किया गया और अब तक 12 दिनों का समय आंदोलनरत किसान परिवार धरनास्थल पर बिता चुके हैं। इस दौरान किसानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिन सभी परेशानियों को सहन करते हुए भी किसान अपनी आवाज सरकार तक पहुँचाने के लिए जूझ रहे हैं। पर सरकार है उसके कि कान में
जूँ तक नहीं रेंगती।

छेरछेरा में अपना हक मांगेंगी महिलाएँ

धरना स्थल पर रूपेन चंद्राकर ने घोषणा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्यौहार छेरछेरा के दिन धरनास्थल से 10 10 महिलाएँ समुह बनाकर मुख्यमंत्री, संबंधित मंत्री, स्थानीय विधायक के निवास और NRDA ऑफिस पर जाकर छेरछेरा को रूप में अपने हक की मांग करेंगी। इसके साथ ही यह भी घोषणा की गई कि मांगें पूरी होने तक किसान परिवार सभी त्यौहार धरनास्थल पर ही मनाएंगे और 26 जनवरी को वहाँ तिरंगा भी फहराएंगे।

धरना स्थल पर उपस्थिल महिलाएँ

20 साल से चल रहा आंदोनल

किसान नेताओं ने बताया कि NRDA से पीड़ित किसानों का आंदोलन लगभग 20 सालों से चल रहा है। नया राज्य बनने के साथ ही नई राजधानी की भी तैयारियाँ शुरु कर दी गई थी। और तभी से ये किसान अपनी आवाज सरकारों तक पहुँचाने की कोशिश में हैं। सन् 2002 से 2008 तक किसानों ने अपनी लड़ाई लड़ी और उसके बाद किसानों ने संगठन के रूप में नया रायपुर किसान समिति बनाई और संगठित होकर आंदोलन चालू किया जो अब तक जारी है। 28 दिसंबर 2021 को किसानों की महापंचायत आयोजित की गई और उसके बाद 3 जनवरी को अनिश्चितकालीन धरना चालू किया गया है।

नया रायपुर स्थित धरना स्थल

राष्ट्रीय स्तर पर उठाएंगे NRDA का मुद्दा

धरना स्थल पर किसान नेताओं से चर्चा करने पर पता चला कि इस आंदोनल को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की योजना है। हाल ही में मध्य प्रदेश के बड़े किसान नेता शिव कुमार कक्का NRDA आंदेलन में सम्मिलित हुए थे और उन्होंने आंदोलन स्थल पर सभा को संबोधित भी किया था। जिसके बाद वे आंदोलन से जूड़ी सभी जानकारी और दस्तावेज अपने साथ ले गए थे जिससे राष्ट्रीय स्तर पर इस आंदोलन को लाया जा सके। आयोजकों से यह जानकारी भी प्राप्त हुई कि जल्द ही NRDA किसान आंदोलन में राष्ट्रीय किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल होने आएंगे। हालांकि तीथि की घोषणा अभी नहीं की गई है। जिसके बाद इस आंदोलन को और अधिक बल मिलेगा।

नहीं लेंगे किसी राजनैतिक दल का समर्थन

रूपेन चंद्राकर ने कहा कि आंदोलन को पूरी तरह राजनैतिक पक्षपात से दूर रखा गया है। आंदोलन में केवल किसानों और मजदूरों के हित की बात ही की जा रही है। आंदोलन में कई ऐसे किसान भी हैं जो विभिन्न राजनैतिक दलों में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं लेकिन वे सभी यहाँ राजनीतिक मतभेद को किनारे करके किसान के रूप में संगठित हुए हैं। इनमें कई कांग्रेस के नेता भी हैं जो अभी अपनी ही पार्टी की सरकार के विरुद्ध आंदोलन कर रहे हैं। इसलिए किसी भी राजनैतिक दल का समर्थन हम नहीं लेंगे। यह आंदोलन विशुद्ध रुप से किसान आंदोलन ही रहेगा।

जिसने सत्ता पाई उसने किया शोषण

आंदोलन स्थल पर नया रायपुर किसान संघ के अध्यक्ष रूपेन चंद्राकर ने बताया कि “छत्तीसगढ़ बनने के बाद अजित जोगी के बाद जितने भी मुख्यमंत्री आए उन्होंने नया रायपुर विकास प्राधिकरण से पीड़ित किसानों के साथ अन्याय ही किया। जब भाजपा की सरकार छत्तीसगढ़ में थी तब भाजपा के द्वारा नया रायपुर की योजनाओं को बदला गया जिससे किसानों को अधिक नुकसान हुआ। पहले सिर्फ बंजर जमीन के अधिग्रहण की बात थी लेकिन भाजपा द्वारा किए गए परिवर्तन के बाद आस पास की उपजाऊ जमीन, रहवासी क्षेत्र सहित पूरे रे पूरे गाँव इससे प्रभावित हुए। वहीं कांग्रेस की ओर से पहले किसानों के समर्थन में बातें की जाती थीं और अब सत्ता में आने के बाद कांग्रेस भी दमनकारी नीति अपनाते हुए किसानों की आवाज़ को दबाने की कोशिश में लगे हुए हैं।”

धरना स्थल पर लगी किसान आंदेनल के समर्थन में मंत्री टी एस सिंहदेव की तस्वीर

आंदोनल स्थल पर किसान संगठनों द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की किसान आंदेलन के समर्थन करते हुए तस्वीर भी लगाई गई है। जिसके साथ लिखा हुआ है कि “जब सत्ता में नहीं थे, तब हमारे साथ थे। आज तिरस्कार क्यों?” वहीं कांग्रेस के वरीष्ठ नेता टी एस सिंहदेव की किसान आंदोलन के समर्थन में तस्वीर के साथ लिखा है कि “कांग्रेस द्वारा NRDA पीड़ित किसानों के मुद्दे को घोषणा पत्र में लाने और समर्थन का वादा किया गया था। लेकिन सत्ता में आते ही कांग्रेस ने वादाखिलाफी की।

धरना स्थल पर लगी किसान आंदेनल के समर्थन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तस्वीर

ऊँची पहुँच वाले लोगों को पहुँचाया गया फायदा

किसान नेताओं ने बताया कि नया रायपुर विकास प्राधिकरण के अंतर्गत कई ऊँची पहुँच वाले लोगों की जमीन का भी अधिग्रहण किया जाना था। लेकिन उन्हें फायदा पहुँचाने की नियत से योजना को ऐसा बनाया गया कि उनकी जमीन बच जाए। जहाँ इन ऊँची पहुँच वाले लोगों की जमीन मंत्रालय से मात्र 500 मीटर की दूरी पर होकर भी बच गई और गरीब किसानों की जमीन मंत्रालय से 12 कीलोमीटर दूर होकर भी इसके लपेटे में आ गई। किसान नेताओं के अनुसार इन ऊँची पहुँच वाले लोगों में कांग्रेस के कई नेता, बृजमोहन अग्रवाल सहित कई भाजपा नेता, NRDA के अधिकारियों सहित कई नाम शामिल हैं।

मुख्यमंत्री से बातचित की मांग

रूपेन चंद्राकर ने बताया कि मंत्री शिवकुमार डहरिया से भेंट के दौरान किसानों के द्वारा मुख्यमंत्री से चर्चा करने की मांग की गई है। इस पर मंत्री का कहना है कि पहले संबंधित विभाग के मंत्री से चर्चा करो फिर हमसे चर्चा करो उसके बाद मुख्यमंत्री जी से चर्चा पर विचार करेंगे। बता दें कि क्षेत्रीय विधायक और नगरीय प्रशासन मंत्री डहरिया ने नवा रायपुर क्षेत्र के सरपंचों को बातचीत के लिए बुलाया था। जिसके बाद 7 प्रभावित गाँव के सरपंच उनसे मिलने गए वहाँ सरपंचों ने ग्रामीण आंदोलनकारियों की ओर से उठाई जा रही मांगों को रखा। जिसपर मंत्री डहरिया ने कोई आश्वासन नहीं दिया बल्कि उनका जोर आंदोलन को खत्म कराने पर ही था।

किसान परिवार की महिलाएं हैं आंदोलन की ताकत

धरना स्थल पर हमने देखा कि आंदेलन में आने वाली अधिकांश महिलाएं अपने हाथ में थैला लेकर आ रहीं थीं। पूछने पर पता चला कि वे रोज अपने साथ कुछ अनाज और कुछ बाड़ी में लगी सब्जियाँ वगैरह ले आती हैं जिससे आंदोनल अनवरत चलता रहे।

किसान परिवार की महिलाओं के द्वारा धरना स्थल पर लाया गया आनाज।

किसान नेताओं ने बाताया कि यह आंदोलन इसी तरह आपसी सहयोग और दानदाताओं के सहयोग से चल रहा है। परसदा से आई एक महिला आंदोलनकारी गोदावरी बाई ने बताया कि उसने अपने रोज के खर्चे से बचत करके 150 रूपये बचाए थे जिसे वो आंदोलन में देने के लिए लाई है।

महिला आंदोलनकारी गोदावरी बाई

ये हैं किसानों की मांगें

  • नवा रायपुर पुनर्वास योजना के अनुसार अर्जित भूमि के अनुपात में उद्यानिकी, आवासीय और व्यावसायिक भूखंड पात्रतानुसार निःशुल्क मिलने के प्रावधान का पालन किया जाए।
  • भू-अर्जन कानून के तहत हुए अवार्ड में भूस्वामियों को मुआवजा प्राप्त नहीं हुए हैं उन्हें बाजार मूल्य से 4 गुणा मुआवजा मिले।
  • नवा रायपुर क्षेत्र में ग्रामीण बसाहट का पट्टा मिले।
  • वार्षिकी राशि का पूर्ण रूपेण आवंटन किया जाए।
  • पुनर्वास पैकेज-2013 के तहत सभी वयस्कों को मिलने वाला 1200 वर्गफीट प्लॉट दिया जाए।
  • साल 2005 से भूमि क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल हटाया जाए।
  • आबादी से लगी गुमटी, चबूतरा, दुकान, व्यावसायिक परिसर को 75% प्रभावितों को लागत मूल्य पर देने के प्रावधान का पालन किया जाए।
किसानों की मांगें

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