नई दिल्ली। पीएम मोदी ने शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। लेकिन तीन बाद भी संयुक्त किसान मोर्चा में आंदोलन खत्म करने की कोई जल्दबाजी नहीं दिख रही है।रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा की सिंघु बॉर्डर में बैठक हुई। संगठन ने प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र लिखा। इस पत्र में किसानों की छह मांगों को उठाया गया। किसान मोर्चा ने इस पत्र में आगे लिखा कि सरकार को तुरंत किसानों के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए। इसके साथ ही चिट्ठी में प्रधानमंत्री के कानून वापसी के फैसले पर संतोष जताया गया है और अपनी 6 मांगे रखी हैं।

घटनाओं को लेकर की ये तीन मांगे

दिल्ली, हरियाणा और दूसरे राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान (जून 2020 से अब तक) सैकड़ों मुकदमो में फंसाया गया है, ये केस को वापस लिए जाएं।

लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी आज भी खुले घूम रहे हैं। उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।

इस आंदोलन के दौरान शहीद हुए 700 किसानों के परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो। साथ ही शहीद किसानों स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंधू बॉर्डर पर जमीन दी जाए।

लंबित मांगों को पूरा करने की अपील

संयुक्त किसान मोर्चा ने पत्र में तीन पुरानीं मांगे प्रधानमंत्री के सामने रखी हैं-

खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को सभी कृषि उपज के ऊपर किसानों का कानूनी हक बनाया जाए।

सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021’ का ड्राफ्ट वापस लिया जाए।

‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021’ में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाए।

पीएम साब, हमें सड़क बैठने का कोई शौक नहीं

आगे चिट्ठी में लिखा गया है- प्रधानमंत्री जी, आपने किसानों से अपील की है कि अब हम घर वापस चले जाए। हम आपको यकीन दिलाना चाहते हैं कि हमें सड़क पर बैठने का शौक नहीं है। बाकी मुद्दों का निपटारा कर हम अपने घर, परिवार और खेती बाड़ी में वापस लौटना चाहते हैं। आप भी यही चाहते हैं तो सरकार इन मुद्दों पर तुरंत ही संयुक्त किसान मोर्चा के साथ वार्ता शुरू करे। तब तक संयुक्त किसान मोर्चा अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक इस आंदोलन को जारी रखेगा।

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