टीआरपी डेस्क। कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में 10.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। यह अनुमान रेटिंग्स एजेंसी फिच ने लगाया है।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट के सबसे ऊंचे आंकड़ों में से है।

अर्थव्यवस्था में गिरावट की एक बड़ी वजह लॉकडाउन

कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में सख्त लॉकडाउन लगाया गया था। इसे अर्थव्यवस्था में गिरावट की एक बड़ी वजह माना जा रहा है।

अक्तूबर-दिसंबर की तिमाही में जीडीपी में सुधार देखने को मिलेगा

फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि  ‘चालू वित्त वर्ष की तीसरी यानी अक्तूबर-दिसंबर की तिमाही में जीडीपी में सुधार देखने को मिलेगा। हालांकि, इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार सुस्त और असमान रहेगी।’

फिच ने कहा कि ‘हमने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के अपने अनुमान को संशोधित कर -10.5 प्रतिशत कर दिया है। जून में जारी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट के अनुमान को पांच प्रतिशत बढ़ाया गया है।’

भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 6.4 फीसदी घट सकता है: केयर रेटिंग्स

इससे पहले केयर रेटिंग्स ने अनुमान जताया था कि चालू वित्तवर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 6.4 फीसदी घट सकता है। उस वक्त मूडीज और फिच ने पांच फीसदी तक गिरावट का अनुमान लगाया था। देश की दूसरी सबसे बड़ी एजेंसी केयर रेटिंग्स ने मई में कहा था कि 2020-21 में जीडीपी 1.5-1.6 फीसदी कम हो जाएगी।

आर्थिक गतिविधियां सामान्य नहीं हो सकेंगी

इस अनुमान में इजाफा करते हुए रेटिंग एजेंसी ने कहा था कि जुलाई में भी लॉकडाउन जारी रहने की वजह से आर्थिक गतिविधियां सामान्य नहीं हो सकेंगी। इसका अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा। संभव है कि महामारी से स्थिति सामान्य होने में चौथी तिमाही तक समय लग जाए।

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