राजस्थान। कोरोना वायरस या कोविड-19 से आज पूरा देश लड़ रहा है। मगर याद रहे हमें बीमारी से लड़ना है, बीमार से नहीं। उनसे भेदभाव ना करें। उनकी देखभाल करें और इस बीमारी से बचने के लिए जो हमारी ढाल हैं, जैसे हमारे डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मचारी, पुलिस, सफाई कर्मचारी आदि उनको सम्मान दें। अधिक जानकारी के लिए स्टेट हेल्प लाइन नंबर या सेंट्रल हेल्पलाइन नंबर 1075 पर कॉल करें। भारत सरकार द्वारा जनहित में जारी।

जब से देश में कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, तब से फोन लगाने पर ये कॉलर ट्यून सुनाई देती है। अब राजस्थान के एक कांग्रेस विधायक ने कोरोना वायरस के बारे में सूचना देने वाली कॉलर ट्यून को बंद करने की मांग की है। विधायक का नाम भरत सिंह है, उन्होंने इस बारे में केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है।

भरत सिंह का कहना है कि जबसे देश में कोरोना महामारी आई है। तब से ही फोन करने पर बचाव और सुरक्षा का संदेश सुनाई देता है। यह संदेश काफी लंबा होता है। उनका कहना है कि अब इस संदेश को सुन-सुनकर कान पक गए हैं।

उन्होंने कहा कि मार्च 2020 से जून 2020 तक लगभग चार महीने से जनता को कोविड-19 से बचने के लिए ये संदेश सुनाया जा रहा है। मेरा मानना है कि जनता तक यह संदेश पहुंच गया है। अब मोबाइल से यह संदेश टोन हटा देनी चाहिए। फोन करते समय इस संदेश को सुनने में काफी समय लगता है। इसको सुनते-सुनते कान पक गए हैं।

भरत सिंह ने यह चिट्ठी केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय को भी लिखी है। भरत सिंह राजस्थान कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं। कोटा की सांगोद विधानसभा सीट से विधायक हैं। पिछली गहलोत सरकार में वे मंत्री रहे थे। हालांकि इस बार वे मंत्री नहीं बन पाए हैं। इससे पहले उन्होंने लॉकडाउन में शराबबंदी को खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने कहा था कि शराब से कोरोना वायरस मर जाता है। इसलिए शराब की दुकानें खोल दी जाएं।

राज्य सभा चुनाव के दौरान भी लिखी थी चिट्ठी

हाल ही में राज्य सभा चुनाव के दौरान भी उनकी चिट्ठी सुर्खियों में रही थी। उन्होंने राज्यसभा प्रत्याशी के चयन पर सवाल उठाया था। इस बारे में उन्होंने कांग्रेस महासचिव और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को चिट्ठी लिखी थी। कहा था कि राज्यसभा चुनाव के बाद जीतने वाले को फिर किसी से कोई लेना देना नहीं रहेगा। अधिकांश राज्यसभा के सांसद उन विधायकों को भी नहीं पहचानते, जो उनको चुनकर राज्यसभा भेजते हैं।