हालिका दहन: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व, जानिए शुभ मुहूर्त और इसका महत्व
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टीआरपी डेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार, होली के एक दिन पहले फाल्गुन मास के पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है। होलिका के अगले दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। होलिका दहन, जिसे होलिका दीपक और छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है. इस साल होलिका दहन 28 मार्च को है। यह हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है। जिसमें होली के एक दिन पहले यानी पूर्व संध्या को होलिका का सांकेतिक रूप से दहन किया जाता है। प्राचीन काल से होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है।

अशुभ मुहूर्त पर पूजा ला सकता है दुर्भाग्य

हिन्दु शास्त्रों में होलिका दहन को यज्ञ स्वरूप बताया गया है, जिसे शुभ मुहूर्त में किया जाता है। होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्यौहार के मुहूर्त से ज्यादा महवपूर्ण और आवश्यक है। यदि किसी अन्य त्यौहार की पूजा उपयुक्त समय पर न की जाये तो मात्र पूजा के लाभ से वंचित होना पड़ेगा, परन्तु होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, होलिका दहन भद्राकाल में नहीं करना चाहिए। प्रदोष काल में होलिका दहन करने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। 28 मार्च से शुरू होकर पूर्णिमा तिथि 29 मार्च की मध्य रात्रि 12 बजकर 17 मिनट तक रहेगी।

होलिका दहन के शुभ मुहूर्त

होलिका दहन रविवार, मार्च 28, 2021 को
होलिका दहन मुहूर्त – 06:37 पी एम से 08:56 पी एम
अवधि – 02 घण्टे 20 मिनट्स
भद्रा पूँछ – 10:13 ए एम से 11:16 ए एम
भद्रा मुख – 11:16 ए एम से 01:00 पी एम
होलिका दहन प्रदोष के दौरान उदय व्यापिनी पूर्णिमा के साथ
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को 03:27 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 12:17 ए एम बजे

होलिका दहन की पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार, दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद केवल भगवान विष्णु के सिवाय किसी अन्य को नहीं भजता। इससे हिरण्यकश्यप क्रुद्ध हो उठा और अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। दरसल होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि कोई नुक़सान नहीं पहुंचा सकती। बावजूद इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं।

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