टीआरपी डेस्क। हर साल 20 जनवरी को सिख धर्म के 10वें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है। गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को बिहार के पटना में हुआ।

गुरु गोविंद सिंह एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ एक निर्भयी योद्धा, कवि और दार्शनिक भी थे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। गुरु गोविंद सिंह के जन्म दिवस को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है।

‘पांच ककार’ धारण करने का आदेश

कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंत की रक्षा के लिए कई बार मुगलों का सामना किया था। सिखों के लिए 5 चीजें- बाल, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा धारण करने का आदेश गुरु गोबिंद सिंह ने ही दिया था। इन चीजों को ‘पांच ककार’ कहा जाता है, जिन्हें धारण करना सभी सिखों के लिए अनिवार्य होता है।

कई कलाओं और भाषाओं में निपुण थे गुरु गोबिंद सिंह

गुरु गोबिंद सिंह एक लेखक भी थे, उन्होंने स्वयं कई ग्रंथों की रचना की थी। कहा जाता है कि उनके दरबार में हमेशा 52 कवियों और लेखकों की उपस्थिति रहती थी, इसलिए उन्हें ‘संत सिपाही’ भी कहा जाता था। गुरु गोबिंद सिंह को ज्ञान, सैन्य क्षमता आदि के लिए जाना जाता है।

गुरु गोबिंद सिंह ने संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी भाषाएं भी सीखीं थी। साथ ही उन्होंने धनुष-बाण, तलवार, भाला चलाने की कला भी सीखी।

गुरु गोबिंद सिंह के विचार

  • अगर आप केवल भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे, तो वर्तमान भी खो देंगे।
  • जब आप अपने अन्दर से अहंकार मिटा देंगे, तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी।
  • मैं उन लोगों को पसंद करता हूँ जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं।
  • ईश्वर ने हमें जन्म दिया है ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराई को दूर करें।
  • इंसान से प्रेम ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है।
  • अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को पा सकते हैं। अच्छे कर्म करने वालों की ही ईश्वर मदद करता है।
  • असहायों पर अपनी तलवार चलाने वाले का खून ईश्वर बहाता है।
  • बगैर गुरु के किसी को भगवान का नाम नहीं मिलता।
  • जितन संभव हो सके, जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए।
  • अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान करें।

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