अनाथ बच्चों के गोद का आमंत्रण देना गैरकानूनी, सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई का दिया निर्देश
अनाथ बच्चों के गोद का आमंत्रण देना गैरकानूनी, सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई का दिया निर्देश

नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एन.सी.पी.सी.आर.) में  5 जून तक विभिन्न राज्यों द्वारा सौंपे गए आंकड़ों के मुताबिक 30 हजार 071 बच्चे अनाथ हो गए। इनमें से ज्यादातर बच्चे महामारी के कारण अभिभावकों के गुजरने या छोड़ दिए जाने के कारण बेसहारा हुए। उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को अवैध तौर पर गोद लिए जाने में संलिप्त गैर-सरकारी संगठनों और लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

“कारा” के माध्यम से ही बच्चो का गोद संभव

न्यायालय ने अभिभावक को खोने वाले या बेसहारा, अनाथ हुए बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि अनाथ बच्चों को गोद लिए जाने का आमंत्रण देना कानून के प्रतिकूल है क्योंकि केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण “कारा” की भागीदारी के बिना गोद लेने की अनुमति नहीं है।

जरुरी संसाधन जुटाएं बाल कल्याण समितियां

न्यायमूर्ति  एल.एन. राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने बाल कल्याण समिति (सी.डब्ल्यू.सी.) से प्रभावित बच्चों को भोजन, दवा, कपड़े और अन्य जरूरतें पूरी करने तथा राज्यों को सरकारी के साथ निजी स्कूलों में ऐसे बच्चों की शिक्षा जारी रखने के लिए प्रावधान करने का निर्देश दिया। पीठ ने कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए हाल में शुरू ‘पी.एम.-केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना के विवरण के संबंध में केंद्र को 4 हफ्ते के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का समय दिया।

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