चीन से समझौते में भारत ने पाया कम... काफी कुछ खोया, ड्रैगन का फायदा ही फायदा- ब्रह्म चेलानी

टीआरपी डेस्क। चीन से हाल में हुए समझौते में भारत ने काफी कुछ खो दिया है। इसमें सिर्फ ड्रैगन का फायदा नजर आ रहा है। जाने-माने जियोस्ट्रैटेजिस्ट और लेखक ब्रह्म चेलानी ने यह दावा कुछ सिलसिलेवार ट्वीट्स के जरिए किए।

उन्होंने पीपी17ए पर दोनों मुल्कों के पीछे हटने से संबंधित प्रेस विज्ञप्ति को साझा करते हुए लिखा, “भारत की तरफ से घोषित ताजा गोगरा डिसइन्गेजमेंट (विघटन या पीछे हटने की प्रक्रिया) जुलाई 2020 गलवान और फरवरी 2021 के पैंगोंग क्षेत्र के विसैन्यीकरण के जैसी है। यह चीन को सचमुच दो बार जीतने की अनुमति देता है। चीन पहले अतिक्रमण करता है, फिर यथास्थिति को औपचारिक रूप देते हुए भारत पर बफर जोन थोपता है।”

अगले ट्वीट के जरिए उन्होंने बताया कि यह चीन की जीत पर जीत है। पहला- गलवान सौदा एलएसी में थोड़े बदलाव के साथ तीन किमी चौड़ा बफर जोन बनाता है। भारत अपने पैट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 तक पहुंच खो देता है। दूसरा- पैंगॉन्ग सौदा भारत को रणनीतिक कैलाश हाइट्स को खाली करने के लिए मजबूर करता है, जबकि तीसरा- गोगरा सौदा पांच किमी का बफर बनाता है, जिससे भारत पीपी-17 ए तक पहुंच खो देता है।

बकौल चेलानी, “पैंगॉन्ग डील के तहत, पूरे “बफर ज़ोन” को उस क्षेत्र पर स्थापित किया गया था, जहां भारत ने अप्रैल 2020 में चीन द्वारा अपने गुप्त अतिक्रमण किए जाने तक गश्त की थी। इसमें उस क्षेत्र का एक हिस्सा (भारतीय बेस के फिंगर्स दो और तीन से लेकर फिंगर चार तक) भी शामिल है, जिस पर चीन ने कभी दावा नहीं किया था।”

बता दें कि पूर्वी लद्दाख के गोगरा में करीब 15 महीनों तक आमने-सामने रहने के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है और जमीनी स्थिति को गतिरोध-पूर्व अवधि के समान बहाल कर दिया है।

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