रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Indira Gandhi Agricultural University) के कृषि विज्ञान केन्द्र पाहंदा के मार्गदर्शन में दुर्ग जिले के पाटन विकास खण्ड के ग्राम करसा, अंवरी, नारधी और कुकदा के किसानों द्वारा कतार बोनी पद्धति से उगाई जा रही धान की फसल अल्प वर्षा के बावजूद काफी बेहतर स्थिति में है। इस पद्धति से हो रही धान की खेती का मुलाहिजा आज संयुक्त राज्य अमेरिका कृषि विभाग की विदेशी कृषि सेवाएं के वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ डाॅ. संतोष कुमार सिंह ने किया।

सीड़ ड्रिल के माध्यम से धान की कतार बोनी पद्धति

उन्होंने कतार बोनी पद्धति से खेती करने वाले किसानों (Farmers) से बात-चीत की और फीडबैक प्राप्त किया। किसानों (Farmers) ने बताया कि कतार बोनी विधि से ली गई धान की फसल बियासी विधि से ली गई फसल की अपेक्षा बहुत बेहतर स्थिति में है। डाॅ. सिंह नेे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सीड़ ड्रिल के माध्यम से धान की कतार बोनी पद्धति की सराहना की। डाॅ. सिंह नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास में पदस्थ हैं।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में इस वर्ष अल्प वर्षा से उत्पन्न सूखे की स्थिति के कारण जहां ज्यादातर किसानों (Farmers) की खरीफ फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है और किसानों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई है, वहीं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Indira Gandhi Agricultural University) द्वारा विकसित सीड ड्रिल के द्वारा प्रदेश की सभी जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से लगभग एक हजार एकड़ क्षेत्रफल में धान की कतार में सीधी बोनी तकनीक से लगायी गई फसल काफी बेहतर है।

नई मशीन ‘‘इनक्लाइंड प्लेट प्लान्टर’’ का प्रयोग

इस तकनीक में धान की कतार बोनी के लिए एक नई मशीन ‘‘इनक्लाइंड प्लेट प्लान्टर’’ का प्रयोग कर धान की फसल ली जा रही है। इस विधि में कतार से कतार और पौधे से पौधे के बीच की दूरी नियंत्रित रहती है, खाद-बीज कम लगता है और अधिक उपज प्राप्त होती है। इस विधि में फसल परंपरागत विधि की अपेक्षा 8-10 दिन पहले पक जाती है जिससे रबी फसल जल्दी ली जा सकती है। कृषि विश्वविद्यालय (Indira Gandhi Agricultural University) द्वारा विकसित यह तकनीक अल्प वर्षा की स्थिति में किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।

कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केेन्द्र मर्रा (पाटन) के अधिष्ठाता डाॅ. अजय वर्मा और कृषि विज्ञान केन्द्र पाहंदा पाटन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. विजय जैन ने डाॅ. संतोष सिंह को बताया कि दुर्ग जिले में अल्प वर्षा के कारण परंपरागत विधि से धान की खेती करने वाले किसानों (Farmers) की धान की फसल की स्थिति अच्छी नहीं है। पानी की कमी से पौधों की रोपाई और बियासी में विलम्ब हो रहा है।

किसानों में भारी उत्साह

फसल पर कीट-व्याधियों का अधिक प्रकोप हो रहा है। धान की रोपाई न हो पाने से नर्सरी की उम्र ज्यादा हो रही है जिससे उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। ऐसे में कतारों में सीधी बोनी से ली गई फसल की स्थिति अच्छी होने के कारण किसान इस तकनीक को लेकर काफी उत्साहित हैं। ग्राम अंवरी के किसान अतुल चन्द्राकर ने बतया कि मौसम की बेरूखी के बावजूद उनके द्वारा लगभग 30 एकड़ एवं उनके गांव में 150 एकड़ तथा पाटन के आस-पास के ग्राम अमेरी, औंधी, सोमनी, गरियारी, करमा, बटंग नेदौरी एवं पांहदा में लगभग 800 से 1000 एकड़ में धान की खेती कतार बोनी से की गई है।

कृषक बद्रीप्रसाद वर्मा, दीपक चन्द्राकर, रामविकास साहू, शिव वर्मा का मानना है कि इस मशीन से बोनी में ना केवल कतार से कतार की दूरी निश्चित रहती है वरन पौधे से पौधे की दूरी को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इससे बीज की मात्रा परंपरागत विधि की तुलना में आधे से भी कम लगती है।

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