SECL की खदान के मुहाने में धरने पर बैठे भुविस्थापित, कोयले का उत्पादन हो रहा है बाधित
SECL की खदान के मुहाने में धरने पर बैठे भुविस्थापित, कोयले का उत्पादन हो रहा है बाधित

कोरबा। SECL की कोयला खदानों में उत्पादन बढ़ाने के लिए किये जा रहे प्रयासों के बीच भुविस्थापितों ने खदान के मुहाने पर धरना दे दिया है। ये मामला है कोरबा जिले की दीपका परियोजना का, जहां नौकरी मुआवजे सहित कई अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन चल रहा है।

कोल इण्डिया के अधीन छत्तीसगढ़ में SECL द्वारा कोयला खदानों का संचालन किया जाता है। अक्सर खदान को प्रारम्भ करते समय प्रबंधन द्वारा भूविस्थापितों के साथ जो समझौता किया जाता है उसका पालन सही समय पर नहीं होने के चलते प्रबंधन को इस तरह के आंदोलनों का सामना करना पड़ता है।
ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति ने पहले की घाेषणा के तहत रविवार से ही एसईसीएल दीपका प्रबंधन के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। प्रबंधन से नाराज भू-विस्थापित दीपका के अंतर्गत मलगांव ओबी फेस के पास टेंट लगाकर आंदाेलन कर रहे हैं। इस भूभाग पर SECL की मशीनों के माध्यम से ब्लास्टिंग करके मिटटी की खुदाई की जा रही है, मगर आंदोलन के चलते यह कार्य प्रभावित हो रहा है।

भू-विस्थापिताें की ये हैं 15 सूत्रीय मांगें

आंदोलन कर रहे भूविस्थापितों की प्रमुख मांगों में परियोजना, एरिया स्तर पर पुनर्वास समिति व ग्राम समितियों का गठन किये जाने, इसके जरिए मुआवजा, रोजगार, बसाहट का निर्धारण हाे, छोटे-बड़े सभी खातेदारों के लिए राेजगार की व्यवस्था, सर्व सुविधायुक्त बसाहट की व्यवस्था, प्रभावित परिवार के बेरोजगारों की सहकारी समितियों, फर्म, कंपनियाें काे काम में 20 प्रतिशत आरक्षण, स्थानीय बेराेजगाराें व स्व-सहायता समूह के लिए वैकल्पिक रोजगार, आंशिक भूमि अधिग्रहण पर राेक लगाने, भू-विस्थापित-किसान परिवार के बच्चों को प्राथमिक स्तर से उच्च शिक्षा तक निशुल्क शिक्षा व इलाज की व्यवस्था, डीएमएफ की राशि का प्रभावित क्षेत्र के विकास कार्याें पर उपयाेग, राजस्व मामलाें काे शिविर लगाकर निराकरण सहित 15 सूत्रीय मांगे शामिल हैं।

प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप

SECL की अधिकांश परियोजनाओं में इसी तरह भूविस्थापितों के साथ धोखाधड़ी की जाती है, किसी को नौकरी से वंचित कर दिया जाता है तो किसी को मुआवजे से। वहीं बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ने में भी कोताही बरती जाती है। यही वजह है कि SECL के अधिकांश भूविस्थापित नौकरी और मुआवजे का इंतजार करते पूरी उम्र गुजार देते हैं। इसकी प्रमुख वजह स्थानीय जिला प्रशासन की लापरवाही भी है। SECL प्रबंधन पर कोई भी दबाव बनाये बिना उत्पादन प्रारम्भ करने दे दिया जाता है, और बाद में प्रबंधन अपने वादे से मुकर जाता है। यही हाल SECL की अधिकांश परियोजनाओं का है। बहरहाल देखना है कि भूविस्थापितों का यह आंदोलन लंबा खिंचता है, या इनकी मांगें जल्द ही पूरी होती हैं।

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