टीआरपी डेस्क। एक तरफ पूरा दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रहा है। वहीं दूसरी ओर कोरोना के हालात के बाद भी सैकड़ों जोड़े शादी के पवित्र बंधन में बंधे है। लॉकडाउन की बंदिशों के बीच वर-वधू ने अग्नि के समक्ष सात फेरे लेकर अपने दांपत्य जीवन में प्रवेश किया। ऐसे माहौल में शादी तो जरूर हुई, लेकिन घरों से रौनक, साजो सामान व तामझाम गायब था। वर व वधू पक्ष के मात्र 15 से 20 लोगों की मौजूदगी में तमाम रस्मों को निभाया गया। बीते बुधवार को वैशाख पूर्णिमा नक्षत्र के दिन विवाह का शुभ योग था। अनुमान के मुताबिक रेणुका विस क्षेत्र में सौ से अधिक शादियां रीति-रिवाज के साथ करवाई गईं।

बैंड- बाजा, बराती व डीजे की कमी खलती नजर आई। वर व वधु पक्ष की ओर से धाम व अन्य साजो सज्जा पर होने वाला खर्च भी बच गया। कुछेक खास मेहमानों सहित पंडित व मामा पक्ष के लोग शादी में रस्में पूरा करने उपस्थित हो सके। कुछ सुविधा संपन्न लोगों ने वैवाहिक कार्यक्रम स्थगित भी कर दिए, लेकिन अधिकतर ग्रामीण परिवारों ने लग्न व शुभ घड़ी में ही निश्चित तिथि को शादी करना उचित समझा।

ग्रामीण स्तर पर हुए वैवाहिक समारोह में लॉकडाउन के नियमों का भी पालन हुआ। सात फेरों के दौरान भी मात्र 6 से 8 लोग मौजूद रहे। नाच-गाने व मेहंदी से संबंधित सभी रस्में भी अधूरी रह गईं। प्रशासन ने शादियां निपटाने के लिए वर पक्ष को केवल दो गाड़ी व पांच से छह लोगों की स्वीकृति दी थी। शामियाना, लाउडस्पीकर, धाम व अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर भी रोक थी। ददाहू तहसील के अंतर्गत 6 मई को करीब 40 शादियों के आवेदन मिले थे।

इनमें वर पक्ष के लोगों को ही बरात ले जाने की स्वीकृति दी गई थी। वधू पक्ष को नियमों का पालन करने के आदेश दिए थे। उधर, एसडीएम संगड़ाह राहुल कुमार ने बताया कि शादियों में लोगों ने अपने रीति-रिवाज के साथ प्रशासन के आदेशों का पालन किया है। जिन शादियों के आवेदन मिले थे, उन सभी शादियों को निपटाने के लिए 5 से 6 लोगों के इकट्ठा होने की स्वीकृति दी गई थी। लॉकडाउन के दौरान दर्जनों शादियों को स्वीकृति दी गई है। वाहनों के आने व जाने के लिए पास बनाए गए।

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