पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

रायगढ़। रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वन मंडल में एक नर हाथी की करंट की चपेट में आने से मौत हो गई। बीते एक महीने में इस वनमंडल में जंगली हाथी की यह तीसरी मौत है। वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक धरमजयगढ़ वन मंडल रेंज के ग्राम पोटिया स्थित एक खेत में जंगली हाथी का शव मिला है। प्रारंभिक जांच में उसकी मौत करंट से होना पाया गया है। वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का जायजा लिया, वहीं बिलासपुर से भी वन संरक्षक मौके पर पहुच गए हैं।

किसान ने कहा – झटका देने के लिए लगाया था डी सी करंट

आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि रात लगभग 12 बजे यहां से हाथी के चिंघाड़ने की आवाज आयी, इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह घटना रात 12 से 01 बजे के बीच की है। जिस खेत में हाथी लाश पड़ी है वह किसान नेत्रराम राठिया की है, नेत्रराम ने बताया कि उसने अपनी फसल को बचाने के लिए खेत के चारों और डी सी करंट लगा रखा था, ताकि हाथी करंट का झटका खाकर वापस भाग जाएं मगर वनकर्मियों को मौके से जो तार मिला था वह 11 केवी के तार से हुकिंग किया हुआ था। इसी हाई वोल्टेज करंट से चिपक कर हाथी की मौत हुई है।

मानव-हाथी संघर्ष में 48 हाथियों और 159 लोगों की मौत

धरमजयगढ़ क्षेत्र में क्षेत्र में हाथियों और ग्रामीणों के बीच पिछले दो दशक से संघर्ष जारी है। इस संघर्ष में कभी हाथी तो कभी इंसान की जान जा रही है। आंकड़े बताते हैं कि धरमजयगढ़ वन मंडल में सन 2002 से लेकर अब तक 48 हाथियों की मौत हो चुकी है, और इनमे सर्वाधिक मौतें करंट लगने से हुई है। वहीं हाथियों के हमले में धरमजयगढ़ क्षेत्र में अब तक 159 लोगों की जान जा चुकी है।

इस इलाके के ग्रामीण अपनी फसल को हाथी से बचाने खेत के किनारे करंट प्रवाहित तार लगाते हैं, जिससे छोटे मोटे जंगली जानवरों के अलावा हाथी इसके संपर्क में आते हैं और उनकी मौत हो जाती है। हालांकि हाथी की मौत के बाद वन विभाग की टीम संबंधित किसान पर कार्रवाई करके अपनी खानापूर्ति करती है, लेकिन खेतों के किनारे अवैध करंट बिछाकर जंगली जानवरों की बढ़ती मौतों के मामलों में न तो वन विभाग गंभीर है और न ही राज्य सरकार।

घटनाओं के बावजूद एलिफेंट कॉरिडोर के लिए गंभीर नहीं सरकार

छत्तीसगढ़ विधानसभा में सरकार से विधायक धर्मजीत सिंह के सवाल के जवाब में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया था कि 2018, 2019 और 2020 में हाथियों के हमले में 207 लोग मारे गए और 100 लोग घायल हुए हैं। ये आंकड़ा सरकारी रिकार्ड में दर्ज है और निजी आंकड़ों पर गौर करें तो यह संख्या और बढ़ सकती है। बावजूद इसके राज्य सरकार जंगली हाथियों के कारीडोर बनाने के लिए कोई बड़ी पहल नहीं कर रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ जिलों में बढ़ते उद्योगों के चलते कटते जंगल भी हाथियों के उत्पात का एक बड़ा कारण है।

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