रायपुर : छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित दो दिवसीय जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम के दूसरे और अंतिम दिन आज विभिन्न राज्यों से आए शिक्षाविदों एवं अधिकारियों ने कोरोना काल के बाद की परिस्थितियों में शिक्षण की चुनौतियों तथा प्रभावी शिक्षा व्यवस्था तैयार करने कई पहलुओं पर चर्चा की। विशेषज्ञों ने इस संबंध में अपने-अपने राज्यों में किए जा रहे कार्यों के अनुभव भी साझा किए। राष्ट्रीय शिक्षा समागम के चौथे सत्र में आज ‘बिल्डिंग बैक बेटर : लेसन्स फ्रॉम द पेन्डेमिक (Building Back Better : Lessons from the Pandemic)‘ विषय पर चर्चा की गई।

कोरोना ने दिया रिमोट लर्निंग को आजमाने का मौका

चौथे सत्र की अध्यक्षता रूक्मिनी बनर्जी ने की। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में शिक्षण के लिए हासिल नए टूल्स का बच्चों की बेहतर लर्निंग के लिए आगे भी उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग कोरोना काल में ‘लर्निंग लॉस (Learning Loss)’ की चर्चा करते हैं। पर इसने ‘रिमोट लर्निंग (Remote Learning)’ और तकनीक आधारित तरीकों को आजमाने का भी मौका दिया है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा समागम के आयोजन के लिए छत्तीसगढ़ शासन की सराहना भी की।

कार्यक्रम के चौथे सत्र में पैनल विशेषज्ञ के रूप में डॉ. शरद कुमार पाण्डेय शामिल हुए। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी को देखते हुए एनसीईआरटी द्वारा वैकल्पिक एकेडेमिक कैलेंडर तैयार किया गया था, जिससे कि बच्चों और स्कूलों पर ज्यादा बोझ न पड़े। साथ ही शिक्षकों के लिए ‘लर्निंग इन्हॉंसमेंट गाइडलाइन्स (Learning Enhancement Guidelines)’ भी जारी की गई थी।

शिक्षकों को ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी की आवश्यकता

राष्ट्रीय शिक्षा समागम के पांचवें सत्र में विशेषज्ञों ने ‘बड़े पैमाने पर शासन सुधार (Governance Reforms at Scale)’ के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की अध्यक्ष-सह-मुख्य कार्यकारी अधिकारी यामिनी अय्यर ने कहा कि पूरी शिक्षा व्यवस्था पाठ्यक्रम और कैरिकुलम से बंधा हुआ है। कोविड-19 के बाद की परिस्थितियों में शिक्षकों को ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी (Flexibility) देने की जरूरत है। ऐसा हो पाने पर ही व्यवस्था में सुधार के परिणाम बड़े पैमाने पर दिख पाएंगे।

पांचवें सत्र में एनसीईआरटी के डिपार्टमेंट ऑफ कैरिकुलर स्टडीज की अनिता नूना पैनल विशेषज्ञ के तौर पर शामिल हुईं। उन्होंने नई शिक्षा नीति-2020 की खासियतों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने नई शिक्षा नीति में तीन भाषाओं के अध्ययन का प्रावधान किया गया है। भाषाओं पर बच्चों की पकड़ मजबूत करने के लिए स्कूलों में भाषा लैब (Language Lab) स्थापित करने की जरूरत है।

इनके अलावा भी कई अन्य विशेषज्ञों ने भी प्रभावी शिक्षण, भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान की पढ़ाई तथा पाठ्यक्रम से इतर कौशल विकसित करने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में किए गए नवाचारों के अनुभव सभी प्रतिभागियों और विशेषज्ञों से साझा किए।