National Family Health Survey : बेटे की चाहत में दूसरा और तीसरा बच्चा पैदा करने पर बिगड़ रहा लिंगानुपात
National Family Health Survey : बेटे की चाहत में दूसरा और तीसरा बच्चा पैदा करने पर बिगड़ रहा लिंगानुपात

टीआरपी न्यूज डेस्क/नई दिल्ली। 8 मार्च को पूरी दुनिया में विश्व महिला दिवस मनाया जा रहा है। महिला सशक्तिकरण की बातें भी हो रही हैं मगर आज नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 में लिंगानुपात को लेकर चिंता जताई गई है वो चौंकाने वाले हैं।

जमीनी हकीकत से रूबरू करा रही है सर्वे रिपोर्ट

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में कहा गया है कि भारत में दूसरे, तीसरे और उससे ज्यादा बच्चे होने के साथ जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) बिगड़ता चला जा रहा है। इस सर्वे (2015-16) के तहत 5.53 लाख जन्मे बच्चों का विश्लेषण बताता है कि एसआरबी दूसरे और तीसरे बच्चे के साथ बिगड़ता जा रहा है। 

सर्वे में बताया गया कि पहले बच्चे के समय प्रति 100 लड़कियों पर 107.5 लड़कों का जन्म हुआ जबकि तीसरे बच्चे के समय ये आंकड़ा प्रति 100 लड़कियों पर 112.3 लड़के तक पहुंच गया। ये सर्वे भारत के इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया सैन डिएगो के सेंटर ऑन जेंडर इक्विलिटी एंड हेल्थ के शोधकर्ताओं ने किया है। 

सामान्य परिस्थितियों में एसआरबी प्रति 100 लड़कियों पर 103-106 लड़कों के बीच रहा है। इसके अलावा अनुमानित वैश्विक औसत 105 है। सर्वे  में जारी डाटा के मुताबिक, जब कम्यूनिटी लेवल फर्टिलिटी प्रति महिला 2.8 बच्चों से ज्यादा थी तो एसआरबी सामान्य रेंज यानि 103.7 में था। 

शोध से पता चलता है कि छोटे और अमीर परिवार लिंग का चुनाव करने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। शोध बताता है कि इसके पीछे बेटे की चाहत एक मुख्य घटक है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि जमीन के उत्तराधिकार की वजह से बेटे की चाहत लिंगानुपात को बिगाड़ती है। दूसरे या तीसरे बच्चे के साथ, जिन घरों में 10 एकड़ या उससे ज्यादा जमीन है, वहां लड़का पैदा होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। इसके अलावा शोधकर्ताओं का मानना है कि इस बात की संभावना है कि संपन्न लोगों ने लिंग निर्धारण किया हो। 

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