नई दिल्ली। निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषियों विनय कुमार शर्मा, पवन कुमार गुप्ता, मुकेश सिंह और अक्षय कुमार सिंह को शुक्रवार सुबह ठीक 5:30 बजे फांसी दे दी गई। इस मौके पर जेल प्रशासन से जुड़े 50 से अधिकारी मौजूद रहे। फांसी देने की कड़ी में सुप्रींटेंडेंट और डिप्टी सुप्रींटेंडेंट दोनों ने ही निर्भया के चारों दोषियों से मुलाकात कर ली थी।

निर्भया के में फांसी के मद्देनजर बृहस्पतिवार रात से ही मीडिया कर्मियों के साथ तिहाड़ जेल के बाहर आम लोगों का भी जमावड़ा लगा रहा। भीड़ के बेकाबू होने की आशंका के मद्देनजर रात से ही भारी संख्या में पुलिस के जवान भी तैनात किए गए थे। ऐसा पहली बार हुआ है कि तिहाड़ जेल में एक साथ चारों दोषियों को फांसी दी गई हो।

बोले निर्भया के पिता, आज न्याय का दिन

गुनहगारों को फांसी पर लटकाए जाने के बाद सुबह मीडिया से बात करते हुए निर्भया के पिता ने कहा, “आज न्याय का दिन है, महिलाओं के न्याय का दिन है। निर्भया आज खुश होगी। इस घड़ी का हमें सात साल से इंतजार था। आज जाकर हमें शांति मिली। लंबे संघर्ष के संबंध में उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए ऐसी गाइडलाइन बने कि किसी पीड़ित परिवार को इतना लंबा संघर्ष न करना पड़े।

तिहाड़ जेल संख्या-3 में हुई फांसी

ठीक 3:15 बजे निर्भया के दोषियों को उनके सेल में जगा दिया था। दैनिक क्रियाकलाप के बाद उन्हें नहलाया गया। इसके बाद उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें चाय के साथ हल्का नाश्ता दिया गया। इसके बाद उन्हें सेल से बाहर फांसी घर की ओर ले जाने की प्रक्रिया शुरू हुई। नहाने के बाद काले कपड़े पहना कर चारों को तिहाड़ जेल संख्या-3 के फांसी घर में ले जाया गया। इससे पहले चारों को सुबह की चाय भी मिली, लेकिन सभी दोषियों ने चाय नहीं पी।

इसलिए सुबह-सुबह दी जाती है फांसी

भारत में कैदी को सुबह ही फांसी देने का प्रावधान है, लेकिन फांसी का समय महीने के हिसाब से अलग-अलग होता है। ज्यादातर सुबह 6 से 7 बजे के बीच फांसी दी जाती है। निर्भया मामले में कोर्ट ने डेथ वांरट जारी करते हुए सुबह 5:30 बजे फांसी का वक्त मुकर्रर किया गया था। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि जहां जेल में बंद अन्य कैदी सो रहे होते हैं वहीं सुबह फांसी पर चढ़ने वालों को पूरे दिन का इंतजार नहीं करना पड़ता।

फांसी से पहले की प्रक्रिया

फांसी के लिए मुकर्रर समय पर संबंधित  कैदी या कैदियों को फांसी के तख्त के पास ले जाया जाता है। नियमों के मुताबिक, इस दौरान जल्लाद के अतिरिक्त 3 अफसर जेल सुप्रीटेंडेंट, मेडिकल ऑफिसर और मजिस्ट्रेट अनिवार्य रूप से साथ होते हैं। फांसी से ठीक पहले मजिस्ट्रेट दोषियों को पहचानने की बात बताने के बाद डेथ वारंट सुनाता है, जिस पर पहले से ही दोषी या दोषियों के हस्ताक्षर होते हैं।

ऐसे दी जाती है दोषियों को जेल में फांसी

फांसी के तख्त पर पहुंचने से पहले कैदियों के हाथ पीछे से बांध दिए जाते हैं। फिर जल्लाद मुंह पर कपड़ा डालता है और दोषियों के गले में फांसी का फंदा डाल देते हैं। इसके बाद जल्लाद झटके से लीवर खींच देता है। भारत में लॉन्ग ड्रॉप के जरिये फांसी दी जाती है। इसमें दोषियों के वजन के हिसाब से रस्सी की लंबाई तय की जाती है, ताकि झटका लगते ही कैदी की गर्दन के साथ उसकी रीढ़ की हड्डी टूट जाए। यहां पर बता दें कि पूर्व में दिल्ली की तिहाड़ जेल में वर्ष, 2013 में अफजल गुरु को फांसी दी गई थी।

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