अब जानवरों में भी फैलने लगा कोरोना वायरस, संक्रमण से एक शेर की मौत, एडवाइजरी जारी
अब जानवरों में भी फैलने लगा कोरोना वायरस, संक्रमण से एक शेर की मौत, एडवाइजरी जारी

बेंगलूरु। कोरोना वायरस (Corona Virus) अब जानवरों को भी शिकार बनाने लगा है। देश में कोरोना संक्रमण से एक शेर की मौत (Lion Dies Of Covid) का मामला सामने आया है। केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कोविड से शेर की मौत की पुष्टि की है, लेकिन शेर की मौत कहाँ हुई है, उस स्थान का खुलासा नहीं किया गया है। मंत्रालय ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी कर आगामी आदेश तक सभी राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, चिडिय़ाघर व संरक्षित वन क्षेत्र को तुरंत प्रभाव से बंद करने के लिए कहा है।

कर्नाटक वन विभाग (Karnataka Forest Department) के अधिकारियों ने बताया कि राज्य में कोरोना कर्फ्यू लागू होने के साथ ही नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान, कप्पतगुड्डा वन्यजीव अभयारण्य, बंडीपुर टाइगर रिजर्व, भद्रा वन्यजीव अभयारण्य व टाइगर रिजर्व, बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क और मैसूरु चिडिय़ाघर आदि सहित सभी संरक्षित क्षेत्रों को 15 दिन के लिए बंद कर दिया गया है। संबंधित अधिकारियों को एडवाइजरी जारी कर किसी भी व्यक्ति को जंगल में प्रवेश की इजाजत नहीं देने को कहा गया है।

वन्य प्राणियों के संपर्क से बचें

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे वन्य प्राणियों के संपर्क में आने से बचें। साथ ही बंदरों व अन्य वन्य प्राणियों को किसी भी तरह का खाद्य पदार्थ न खिलाएं। मैदानी अमले को मास्क और सैनिटाइजर दिया जाए। बफर क्षेत्र के ग्रामों में जो वन अमला रहता है, उसे संक्रमण से बचाव के लिए सभी जरूरी उपाय करने के दिशा निर्देश दिए गए हैं।

वन्य जीवों की निगरानी के निर्देश

पूरे देश मे सभी वन्य कर्मचारियों को सर्तक रहने व वन्यजीवों पर निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। अवैध शिकार को लेकर भी कर्मचारी सतर्क हैं। गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान इस तरह की गतिविधियां बढ़ी थीं। संरक्षित वन क्षेत्रों के आसपास रह रहे लोगों को भी जंगल में प्रेवश से रोक दिया गया है। प्रवेश जारी रहने से कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार का खतरा बढ़ेगा।

वन्य जीव अभ्यारण्य में विशेष सावधानी

शेरों, बाघों और अन्य वन्यजीवों की निगरानी करने वाली टीमें कोरोना संक्रमण से बचाव के सारे सुरक्षा उपकरणों से पूरी तरह लैस रहेंगी। टीम के सदस्य मास्क, दस्ताने पहनेंगे और हाथों को सैनिटाइज करेंगे। जंगल में यदि किसी वन्यजीव की मृत्यु हो जाती है तो उसका विसरा सुरक्षित कर जांच के लिए भेजा जाएगा। शव बरामद करने से लेकर पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक और कर्मचारी पीपीइ किट का इस्तेमाल करेंगे।

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