टीआरपी न्यूज़। अब अस्पताल, घर, गांव, सोसायटी, भवन आदि में बिजली के लिए जनरेटर का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों की टीम ने पांच साल के शोध के बाद वेनेडियम रिडोक्स फ्लो बैटरी (VRFB) तैयार की है। यह बैटरी वेनेडियम इलेक्ट्रोलाइट नामक केमिकल से काम करती है और 20 साल तक खराब नहीं होगी। खास बात यह है कि इस बैटरी से किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं होगा।

आईआईटी दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग विभाग ( Department of chemical engineering,IIT Delhi ) के प्रो. अनिल वर्मा के मुताबिक, पांच साल पहले जनरेटर के बिना बिजली पाने का विकल्प तलाशने पर काम शुरू हुआ। डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से इस शोध के लिए फंड मिला था। आईआईटी दिल्ली ने शोध पूरा करने में मदद की।

ऐसे काम करेगी बैटरी

प्रो. वर्मा के मुताबिक, VRFB में Vanadium Electrolyte नामक केमिकल डाला जाता है। सोलर पावर के माध्यम से इसे चार्ज किया जाएगा। यह डीसी पावर बैटरी होगी। इसे डीसी से पावर इलेक्ट्रानिक सर्किट की मदद से एसी में तब्दील करके घरों, अस्पताल, गांव, भवन आदि में प्रयोग किया जा सकेगा। इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्ज करने में भी इसका प्रयोग संभव होगा। इस शोध के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है।

केमिकल कभी नहीं होता खराब या खत्म

प्रो. वर्मा ने बताया कि कार, स्कूटर, इनवर्टर में प्रयोग होने वाली बैटरी दो से तीन साल चलती है। बीआरएफबी की लाइफ 20 साल तक होगी। इसमें डाला जाने वाला वेनेडियम इलेक्ट्रोलाइट केमिकल कभी खराब नहीं होता है। 20 साल के बाद जब बैटरी की लाइफ खत्म हो जाएगी तो उस समय इस केमिकल का जो भी मार्केट रेट रहेगा, उसके आधार पर उपभोक्ता को दाम भी मिलेगा।

बिजली की खपत आधार पर तय होंगे दाम

बिजली की प्रतिदिन की खपत के आधार पर बैटरी के दाम तय होंगे। इसके अलावा 20 सालों में खपत बढ़ने पर उसमें बदलाव भी हो सकेगा। उदाहरण के तौर पर एक घर में यदि दिनभर में 12 घंटे बिजली की जरूरत है। ऐसे में दो से पांच यूनिट बिजली की जरूरत होगी। इसके आधार पर बैटरी में केमिकल डाला जाएगा। लैबलाइज कॉस्ट ऑफ एनर्जी (एलसीओई) तकनीक से यदि उसका दाम तय किया जाए तो उपभोक्ता को 10 रुपये प्रति यूनिट का खर्चा आएगा, जबकि अन्य तकनीक का प्रयोग करने पर 25 से 30 रुपये प्रति यूनिट का खर्चा आता है।

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