अब निजी संस्थाएं नहीं कर सकेंगी "खादी" नाम का इस्तेमाल

टीआरपी डेस्क। दिल्ली उच्च न्यायालय ने खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के ब्रांड नाम “खादी” का अवैध रूप से इस्तेमाल कर सौंदर्य प्रतियोगिता और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया है। अदालत ने कहा कि खादी के नाम पर कोई ‘‘भ्रामक’’ गतिविधि नहीं चलायी जा सकती है।

केवीआईसी का आरोप है कि नोएडा स्थित खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया’ (केडीसीआई) और ‘मिस इंडिया खादी फाउंडेशन’ (एमआईकेएफ) जैसे निजी संस्थानों ने ब्रांड नाम “खादी” का अवैध रूप से इस्तेमाल कर लोगों को धोखा दिया है। उच्च न्यायालय ने एक एक पक्षीय आदेश में कहा कि दोनों संस्थाओं के नाम केवीआईसी के ट्रेडमार्क ‘खादी’ के लिए “भ्रामक ढंग से समान” हैं, इसलिए यह ट्रेडमार्क के उल्लंघन का मामला है।

उच्च न्यायालय ने एक एक पक्षीय आदेश में कहा कि दोनों संस्थाओं के नाम केवीआईसी के ट्रेडमार्क ‘खादी’ के लिए “भ्रामक ढंग से समान” हैं, इसलिए यह ट्रेडमार्क के उल्लंघन का मामला है।

न्यायालय ने बचाव पक्ष खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया’ (केडीसीआई) और ‘मिस इंडिया खादी फाउंडेशन’ (एमआईकेएफ) तथा इसके स्वयंभू मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंकुश अनामी को आदेश दिया कि वे सोशल मीडिया ऐप इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर संस्था के सभी अकाउंट से खादी नाम हटाएं।

न्यायालय ने अनामी को दोनों संस्थाओं की वेबसाइट से ऐसी सामग्री को भी हटाने के निर्देश दिए जोकि केवीआईसी की वेबसाइट से मिलती-जुलती है।

खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया’ (केडीसीआई) पर आरोप है कि वह फैशन डिजाइनरों को खादी प्रमाणपत्र देने के ऐवज में उनसे प्रति व्यक्ति दो हजार रुपये वसूल रहा था। केडीसीआई पर यह भी आरोप है कि उसने केवीआईसी के प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से भी जुड़े होने का दावा किया था।

केवीआईसी की दलील पर संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा, ” प्रथम दृष्टया वादी केवीआईसी ने अपने पक्ष में मामला स्थापित किया है। इसके कारण वादी को अपूरणीय क्षति हुई है। अगले आदेश तक बचाव पक्ष को ट्रेडमार्क ‘खादी’ के तहत निर्माण, विज्ञापन या किसी भी प्रकार की वस्तुओं या सेवाओं को प्रदान करने से प्रतिबंधित किया जाता है। इसके अलावा उसे सोशल मीडिया ऐप इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर संस्था के सभी अकाउंट से खादी नाम हटाने के भी निर्देश दिए जाते हैं। साथ ही वेबसाइट से ऐसी सामग्री को भी हटाने के निर्देश दिए जाते हैं जोकि केवीआईसी की वेबसाइट से मिलती-जुलती है।”

केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं को अवैध रूप से “खादी” नाम का उपयोग करने से रोकेगा जोकि झूठे वादों के जरिए लोगों को लुभाने का काम करते हैं।

सक्सेना ने कहा कि खादी डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया’ (केडीसीआई) और ‘मिस इंडिया खादी फाउंडेशन’ (एमआईकेएफ) की गतिविधियां इस बात का स्पष्ट उदाहरण हैं कि वे खादी के नाम का इस्तेमाल कर लोगों को ठगने का काम करते हैं। ठगी का सामना करने वाले लोगों को ऐसी संस्थाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कर इनसे मुआवजे की मांग करनी चाहिए।

वहीं इस मामले में केडीसीआई और ‘मिस इंडिया खादी फाउंडेशन’ का कहना है कि 28.05.2021 को मामला पहली सुनवाई के लिए अदालत में गया था।  माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतिवादी के पक्ष को सुनने के लिए अगली सुनवाई की तारीख 15.09.2021 निर्धारित की है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा “खादी” शब्द पर एकाधिकार और स्वामित्व वर्ष 1956 से है। हम राष्ट्रीय गौरव खादी के लिए समान भावना की मांग कर रहे हैं। साथ ही खादी डिजाइनिंग काउंसिल ऑफ इंडिया अगली सुनवाई पर कोर्ट में अपना पक्ष रखने को तैयार है।

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