अधिकारी कानून की उड़ा रहे धज्जियां, एक साल में 42 लाख रुपए की हुई वसूली, फिर भी दफ्तर में पड़े धूल फांक रहे हैं सात हजार 557 आरटीआई के आवेदन
अधिकारी कानून की उड़ा रहे धज्जियां, एक साल में 42 लाख रुपए की हुई वसूली, फिर भी दफ्तर में पड़े धूल फांक रहे हैं सात हजार 557 आरटीआई के आवेदन

दामिनी बंजारे/रायपुर। सूचना का अधिकार ( राइट टू इंफॉर्मेशन) अधिनियम बनने के बाद संविधान में हमें सरकार या किसी विभाग की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। वहीं लोगों में यह भी जागरूकता आई है। अब लोग विभागों में चल रहे काम-काज की जानकारी लेने लगे हैं।

राज्य सूचना आयोग के तहत मिले आंकड़े के अनुसार वर्ष 2020 में (जनवरी 2020-दिसंबर 2020) तक दस हजार 795 आरटीआई प्राप्त हुई हैं। वहीं मात्र तीन हजार 238 आरटीआई का निराकरण किया गया है, मगर अधिकारियों की मनमानी या लापरवाही के चलते सात हजार 557 मामले लंबित हैं।

यह आंकड़ा हमें यह बताता है कि प्रदेश में आरटीआई से संबंधित मामलों में कितनी देरी की जा रही है। विदित हो कि सूचना का अधिकार के तहत किसी भी विभाग से जानकारी मंगवा सकते हैं। संबंधित विभाग को तीस दिन के अंदर मांगे गए व्यक्ति को जानकारी देनी होती है। मगर सूचना आयोग से मिले आकड़ों की माने तो विभाग में बैठे अधिकारी विभाग से आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी का ही निराकरण नहीं कर सके हैं। आलम यह है कि दिनों-दिन आरटीआई के आवेदनों की संख्या बढ़ती जा रही है।

पूरे राज्य से प्राप्त आरटीआई की बात करें तो सबसे अधिक जानकारी पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में दायर की गई हैं। वर्ष 2020 में पांच हजार 296 मामले प्राप्त हुए जिसमें से केवल 1217 मामलों को निपटाया गया और 4979 आरटीआई की जानकारी अभी लंबित है जिसकी जानकारी विभाग ने अभी तक नहीं दी है।

40 लाख रुपए से अधिक शुल्क हुआ संकलित

आरटीआई के माध्यम से लोक प्राधिकारियों व जन सूचना अधिकारियों द्वारा वर्ष 2020 में 47 विभाग से 42 लाख 83 हजार 106 रुपए संकलित किए हैं। केवल नगरीय प्रशासन विभाग से आरटीआई के माध्यम से दस लाख 18 हजार 690 रुपए संकलित हुए और इसी प्रकार आवास पर्यावरण विकास विभाग से छह लाख 670 रुपए प्राप्त हुए। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से चार लाख 81 हजार रुपए शासन को प्राप्त हुए हैं। वहीं अन्य विभागों से मिले शुल्क का योग 42 लाख 83 हजार रुपए है।

47 विभाग में सात हजार 557 शिकायत लंबित

सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ सरकार के 47 विभाग में पिछले साल की सात हजार 557 शिकायत लंबित हैं जिनका निराकरण नहीं हो पाया है। जनवरी 2020 से दिसंबर 2020 तक समस्त विभाग को 10 हजार से अधिक आरटीआई प्राप्त हुईं थी जिसमें से केवल तीन हजार 238 ही मामलों का निराकरण किया गया है। सूचना आयोग से मिले आंकड़े के अनुसार पिछले साल राज्य के बाहर से 31 आरटीआई दायर की गई थीं।

जिसमें से 30 की जानकारी भेजी जा चुकी है, जबकि एक आरटीआई शेष रह गई है। इसी प्रकार राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग में पिछले साल वर्ष 2020 में 304 आरटीआई प्राप्त हुईं और उसके पहले 581 मामले लंबित थे। कुल 885 आरटीआई में से केवल 336 मामलों का निराकरण अधिकारी कर पाए हैं जबकि 549 मामले अब भी पेंडिंग में हैं।

आरटीआई लगाने में रायगढ़ आगे

सूचना का अधिकार का उपयोग करने में प्रदेश भर में रायगढ़ जिला सबसे आगे है। वर्ष 2019-20 के आंकड़े देखें तो रायगढ़ से 582 मामलों की जानकारी मांगी गई जिसमें से मात्र 19 शिकायतों का निपटारा हुआ जबकि 563 मामले लंबित हैं। इसी प्रकार दूसरे स्थान पर रायपुर है यहां वर्ष 2020 में 479 आरटीआई दायर की गई जिसमें से वर्तमान में 352 शिकायत अब भी अधिकारियों के मेज पर धूल खा रही हैं।

वहीं सुकमा राज्य का ऐसा जिला है जहां पिछले तीन वर्षों से किसी भी विभाग में कोई भी आरटीआई दायर नहीं की गई है। प्रदेश के सभी जिले व राज्य के बाहर से प्राप्त कुल आरटीआई की बात करें तो पिछले साल तीन हजार 532 शिकायत मिली जिसमें से केवल एक हजार 24 शिकायत हल हुईं हैं। जबकि 2508 मामले आज भी निराकरण के लिए तरस रहे हैं।

15 वर्षों में 56 हजार से अधिक शिकायत व अपील

छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने जो डाटा जारी किया है उसके अनुसार वर्ष 2006 से 2020 यानि 15 वर्षों में 56 हजार से अधिक अपील व शिकायत प्राप्त हुईं। आयोग ने वर्षवार जो आंकड़ा दिया है उसके अनुसार 2006 में 585 अपील और 828 शिकायत मिलाकर 1413 मामले प्राप्त हुए। 2017 में प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले प्राप्त हुए जिसमें अपील व शिकायत मिलाकर 6042 मामले दायर हुए। 15 वर्षों में 41 हजार 343 अपील व 15 हजार 473 शिकायतें दर्ज हुईं।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू और वॉट्सएप, पर