छत्तीसगढ़ राज्य में जीनोम सिक्वेंसिंग रिसर्च लैब बनकर है तैयार, बस केंद्र से मान्यता का है इंतजार

रायपुर। छत्तीसगढ़ में ओमिक्रॉन के मरीज मिलने के बाद से स्वास्थ्य विभाग और ज्यादा सतर्क हो गया है। कल के बाद से अब सैंपल की संख्या में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया गया है। बता दें कि अब तक 10 फीसद सैंपल भेजे जा रहे थे।

इधर एम्स रायपुर में जीनोम सिक्वेंसिंग रिसर्च लैब बनकर तैयार हो चुकी है। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार रायपुर मेडिकल कॉलेज में भी जीनोम सिक्वेंसिंग लैब की सुविधा शुरू करने को तैयार है। मगर अस मामले में अबतक केंद्र सरकार से ही किसी प्रकार का आवश्यक निर्देश नहीं आ रहा है। वहीं एम्स प्रबंधन का कहना है कि जीनोम सिक्वेंसिंग में जांच का खर्चा भी काफी अधिक होता है। एम्स में जीनोम लैब तैयार है। सरकार किट उपलब्ध कराए तो जीनोम जांच यहां भी हो जाएगी। वैसे भी जीनोम जांच भुवनेश्वर व पुणे के लैब में हो रही है।

इसलिए जरूरी है जीनोम सिक्वेंसिंग लैब

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में लगातार संक्रमितों की संख्या बढ़ी है। वहीं विदेशी यात्रियों से भी संक्रमण फैलने का खतरा है। ऐसे में वायरस की स्थिति को जानने के लिए जीनोम जांच की आवश्यकता पड़ रही है, ताकि संक्रमण की स्थिति से निपटने की रणनीति तैयार की जा सके। केंद्र के गाइडलाइन व मार्गदर्शन में ही जीनोम जांच प्रमुखता से कराई जा रही है। इससे वायरस के बदलते स्वरूप का पता चलता है।

4000 से अधिक सैंपल भेजे जांच के लिए

राज्य में कोरोना के नए वैरिएंट का पता लगाने के लिए अब तक जीनोम सिक्वेसिंग जांच के लिए 4000 से अधिक सैंपल भुवनेश्वर भेजे गए हैं। जिनमें से 5 में ओमिक्रॉन वेरिएंट होने की पुष्टी मिल चुकी है।

लैब को केंद्र सरकार से मान्यता नहीं मिली

रिपोर्ट मिलने में समय लगता है। केंद्र को राज्य में जीनोम लैब के लिए पत्र लिखा गया है। जवाब नहीं मिला है। हम लैब शुरू कर दें, तो भी केंद्र सरकार की अनुमति लेनी पड़ेगी। जानकारी है, एम्स के जीनोम सिक्वेसिंग लैब को केंद्र सरकार से अभी तक मान्यता नहीं मिली है। अगर प्रदेश में लैब को मान्यता मिल जाती है तो इससे स्वास्थ्य विभाग का काफी समय बचेगा।

-डॉ. सुभाष मिश्रा, संचालक, राज्य महामारी नियंत्रक

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