टीआरपी डेस्क। पुष्य नक्षत्र के बाद और महालक्ष्मी पूजन के पहले 25 अक्टूबर को खरीदारी का दूसरा महामुहूर्त

धनतेरस होगा। सोम-भौम पुष्य नक्षत्र में खरीदारी के बाद एक बार फिर बाजार गुलजार होंगे। ज्योतिर्विदों के

अनुसार इस दिन शुक्रवार को प्रदोषकाल में त्रयोदशी होने से मंगलकारी शुक्र प्रदोष व ब्रह्मयोग का संयोग बनेगा

जो खरीदारी को शुभ फल प्रदान करेगा। इस दिन भगवान धनवंतरि एवं लक्ष्मी व कुबेर पूजन के साथ अकाल

मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए दीपदान किया जाएगा। इसके साथ ही पांच दिनी दीपोत्सव की शुरुआत होगी।

आपको बता दें कि कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी की शुरुआत 25 अक्टूबर को शाम 4.08 मिनट से होगी

जो अगले दिन शनिवार को दोपहर 3.46 बजे तक रहेगी।प्रदोषकाल में त्रयोदशी तिथि होने से इस दिन

धनतेरस मनाना शास्त्र सम्मत होगा। इस दिन सुबह 9.51 बजे से ब्रह्मयोग लगेगा।

 

ज्योतिर्विदों के अनुसार धनतेरस पर शाम को लक्ष्मी और कुबेर का पूजन किया जाता है। यम दीपदान भी

होता है। इस दिन की गई खरीदी व प्रदोषकाल में की गई खरीदी को अतिशुभ माना गया है। इस दिन चांदी,

पीतल के बर्तन, चांदी के सिक्के, गणेश व लक्ष्मी की प्रतिमाएं खरीदी जाती हैं। पौराणिक आख्यानों में

उल्लेख है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को समुद्र मंथन के दौरान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट

हुए थे। इस दिन धनवंतरि जयंती मनाई जाती है। आयुर्वेद के विद्वान इस दिन धनवंतरि की प्रतिमा स्थापित

कर पूजन करते हैं। इस दिन चांदी के बर्तन की खरीदी को अति शुभ माना जाता है।

 

पूजन और दीपदान के मुहूर्त

चर : शाम 5.02 से 6.32 बजे तक।

लाभ : रात 9.32 से 11.02 बजे तक।

प्रदोषकाल : शाम 5.39 से रात 8.14 बजे तक।

Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें और Youtube  पर हमें subscribe करें। एक ही क्लिक में पढ़ें  The Rural Press की सारी खबरें।