एक बेटी नैना धाकड़ ने पाई माउंट एवरेस्ट पर फतह तो दूसरी बेटी याशी जैन ने बचाई जान... दोनों ने बढ़ाया छत्तीसगढ़ का मान

रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नाम एक बड़ी उपलब्धि लगी है। जान जोखिम में डाल बस्तर (Bastar) की नैना सिंह धाकड़ ने एवेरेस्ट की चोटी फतह कर ली है। वहीं प्रदेश की ही याशी जैन की तत्परता ने नैना की जान बचाई।  नैना की इस उपलब्धि पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने बधाई दी है।

मुख्यमंत्री ने दी बधाई

छत्तीसगढ़ की गौरव, बस्तर की बेटी पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ द्वारा विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने पर उन्हें बधाई और शुभकामनाएं। मैं नैना के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ। नैना ने अपने दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति तथा अदम्य साहस से यह कर दिखाया है।

https://twitter.com/bhupeshbaghel/status/1400327060850098178?s=20

स्वास्थ्य मंत्री ने दी बधाई

स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने ट्वीट कर लिखा कि आज छत्तीसगढ़ की बेटी नैना सिंह धाकड़ ने माउंट एवरेस्ट  की चोटी फतह कर राज्य के नाम को कई गुना और गौरवान्वित कर दिया है। दुनिया के सबसे उच्चतम शिखर पर कदम रखने वाली राज्य की पहली महिला पर्वतारोही के खिताब के लिए उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं।

 

याशी जैन ने छत्तीसगढ़ की कहावत हम छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया को भी चरितार्थ किया है। जगदलपुर की पर्वतारोही नैना धाकड़ माउंट एवरेस्ट फतह करने के प्रयास में अत्यधिक थकान के कारण बीमार हो गई और जैसे ही पर्वतारोही याशी जैन को यह पता चला तो बिना समय खोये वो पर्वतारोही नैना की सकुशल वापसी मे जुट गईं। याशी जैन अपने दो प्रयासों के बावजूद माउंट एवरेस्ट पर फतह नहीं कर पाई थी और दोनो बार माऊंट एवरेस्ट के टाॅप से कुछ ही दूरी से खराब मौसम के कारण लौटना पड़ा था और बेस कैम्प से भी कई मुश्किलों के बावजूद सुरक्षित काठमांडू आ गई थी। साथ ही जल्द रायगढ़ लौटने वाली थी।

याशी ने रखी थी नजर

जबकी पर्वतारोही नैना धाकड अपने एक्सपिडीसन को पूरा करने की तैयारी कर रही थी और याशी काठमांडू से लगातार पर्वतारोही नैना के एक्सपीडिशन पर नजर रख रही थी। एक जून की सुबह नैना का एक्सपिडीसन पूर्ण हो जाना था और टॉप पर पहुंच जाना था, परंतु दोपहर तक जब कोई उसकी कोई खबर नहीं आई तो याशी चिंतित हो गई और नैना की कंपनी से लगातार संपर्क की कोशिश करने लगी। बड़ी मुश्किल से लगभग दोपहर दो बजे याशी को पता चला कि नैना अत्यधिक थकान के कारण बीमार हो गई है और माउंट एवरेस्ट से नीचे आने की हिम्मत नहीं कर कर पा रहीं हैंष

इस तरह की मदद

ऐसे मे याशी ने हिम्मत जुटाई और तुरंत छत्तीसगढ़ के प्रथम माउंट एवरेस्टर राहुल गुप्ता (अंबिकापुर) और अपने पिता अखिलेश जैन (रायगढ़) से संपर्क साधा और विनती की  “प्लीज कुछ करो नैना की जान बचाओ”। तुरंत ही जगदलपुर प्रशासन से संपर्क साधा गया। फिर जगदलपुर कलेक्टर रजत बंसल और एस डी एम गोकुल राऊते  को पूरी घटना की जानकारी दी। उन्होने तुरंत नेपाल स्थित इंडियन एम्वेसी से बात की और संबंधित कंपनियों से सम्पर्क साधा। प्रशासन के हरकत मे आते ही तुरंत नैना के लिये रेस्क्यू आपरेशन शुरू हो गया। वहां के एक्सपर्ट शेरपा नैना को रेस्क्यू करने ऊपर बढ़ गए। शाम छह बजे तक नैना को रेस्क्यू करके कैंप चार तक लाया गया था और अब वह आउट ऑफ डेंजर हैं। पर्वतारोही याशी की तत्परता और सह्रदयता से पर्वतारोही नैना का रेस्क्यू सफल हो सका।