क्षमता से अधिक धान खरीदी बनी मुसीबत, चूहे पहुंचा रहे है धन को नुकसान
क्षमता से अधिक धान खरीदी बनी मुसीबत, चूहे पहुंचा रहे है धन को नुकसान

टीआरपी डेस्क। प्रदेश में क्षमता से अधिक धान की खरीदी तो कर ली गई है, मगर ऐसा करना अब धान खरीदी केंद्र संचालकों को भारी पड़ रहा है। जिन केंद्रों से अब तक धान का उठाव नहीं हो सका है, वहां अब चूहों का कब्ज़ा हो गया है। चूहे धान के बोरों को कुतर रहे हैं, जिससे बोरों के साथ ही धान का भी नुकसान हो रहा है।

धान खरीदी की प्रक्रिया संपन्न होने के बावजूद अधिकांश जिलों में खरीदी केंद्रों से धान का उठाव नहीं हो सका है। ऐसे में संचालकों के लिए धान का रख रखाव मुश्किल हो रहा है। प्रदेश के जांजगीर-चांपा जिले में भी कई समितियों से धान का उठाव नहीं हो सका है इसका नतीजा यह हुआ कि धान के बोरों को चूहे नुकसान पहुंचा रहे हैं, एक ही स्थान पर सैकड़ों बोरों की दुर्गति हो गई है, इससे समिति को काफी चपत लग रही है ।

दो महीने बाद भी नहीं हुआ उठाव, चूहों की हुई मौज

2500 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की घोषणा करने के साथ ही सरकार ने इस वर्ष भी किसानों से धान का उपार्जन किया है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष अधिक मात्रा में धान की आवक समितियों में हुई है। 1 दिसंबर से 31 जनवरी तक उपार्जन का काम किया गया मगर 2 महीने बीतने के बाद भी जांजगीर-चांपा जिले में शत-प्रतिशत उठाव नहीं हो सका है। इसके चलते कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो गई हैं। यहाँ विभिन्न समितियों में रखे हुए धान के बोरों को चूहे खराब करने में लगे हुए हैं। तस्वीर नवागढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत धाराशिव स्थित धान खरीदी केंद्र की है, उसमें स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि यहां बहुत सारे बोरो को चूहों ने क्षतिग्रस्त कर दिया,इसके चलते भीतर रखा धान भी आसपास बिखर गया है।

समय पर उठाव नहीं होने से हो रही है परेशानी

मंडी के कर्मचारी शैलेश कुमार ने बताया कि यह सब अव्यवस्था का नतीजा है। समय पर धान का उठाव नहीं कराया जाना इसकी प्रमुख वजह है। हालाँकि इस कर्मचारी ने दावा किया कि उनके यहां केवल बोरे ही क्षतिग्रस्त हुए हैं, मगर सच तो यह है कि अगर चूहों ने बोरों को नुकसान पहुँचाया है, तो स्वाभाविक है कि धान को भी नुकसान हो रहा होगा।

29.59 लाख टन धान बचा हुआ है खरीदी केंद्रों में

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का जो सिस्टम तैयार किया गया है उसके मुताबिक किसानों से धान की खरीदी उपार्जन केंद्रों में की जाती है। यहाँ से धान का परिवहन करके संग्रहण केंद्रों में भेज दिया जाता है। इस केंद्र से राइस मिलर डीओ के मुताबिक धान का उठाव करते हैं। धान खरीदी को पूरे हुए दो महीने होने को है मगर आज भी उपार्जन केंद्रों में 29 लाख 59 हजार 484 टन धान का स्टॉक पड़ा हुआ है। जबकि इससे भी कम मात्रा में धान संग्रहण केन्द्रो में रखा है।

जल्द उठाव के लिए हड़ताल पर थे खरीदी केंद्र प्रभारी

गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व ही धान खरीदी केंद्रों के प्रभारी धान के जल्द उठाव की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे। हालाँकि आश्वासन मिलने पर सभी काम पर लौट आए। प्रभारियों का कहना है कि धन के उठाव में जितना विलम्ब होगा उतना ही उन्हें नुकसान होगा। खुले में पड़े धन के सूखने से उसका वजन कम होगा, वहीं बारिश से भी धान के खराब होने की आशंका रहेगी। इसके अलावा चूहों से भी धान को नुकसान होगा। इस नुकसान की भरपाई खरीदी केंद्र प्रभारियों को ही करनी पड़ती है। यही वजह है कि उपार्जन केंद्रों से जल्द से जल्द धान उठाव की मांग लगातार हो रही है।

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