रायपुर
नगरीय निकाय चुनाव का दंगल (Local Body Election) प्रदेश में शुरू हो चुका है भाजपा हो या कांग्रेस दोनों में टिकट पाने के लिए होड़ शुरू हो चुकी है नेता अपने अपने नेता के जरिए मेयर (Mayor) से लेकर पार्षद टिकट के लिए लॉबिंग में जुट गये है प्रदेश में 13 नगर निगम (Municipal Corporation) में जिसमें रायपुर नगर निगम राजनैतिक और बजट के लिहाज से सबसे अहम है जिसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों के अंदर मंथन चल रहा है कि किसे मेयर पद के लिए उम्मीदवार बनाया जाए,  रायपुर नगर निगम चुनाव में महापौर पद सामान्य वर्ग (General Category )के होने की वजह से कांग्रेस हो या फिर भाजपा दोनों में दावेदारों की फेहरिस्त लंबी हो गई है. 15 साल बाद कांग्रेस की प्रदेश सरकार (State Government) में वापसी के बाद कांग्रेस में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है टीआरपी टीम (TRP Team) ने पार्टी संगठन, कार्यकर्ता, फैन फॉलोविंग, आमजन में छवि के आधार पर कांग्रेस और भाजपा के 7-7 नामों की सूची तैयार की है जिनमें से किसी एक पर पार्टी दांव अजमा सकती है

रायपुर नगर निगम टिकट के कांग्रेस के दावेदार 

डॉ राकेश गुप्ता

चिकित्सा से जुड़े घोटालों को सार्वजनिक करने वाले कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रकेश गुप्ता (Rakesh Gupta) का नाम भी मेयर टिकट की लाइन में शुमार हैं। विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में भी डॉ राकेश गुप्ता के चुनाव लड़ने की अटकलें थीं। डॉ.गुप्ता कांग्रेस की राजनीति में साफ सुथरी छवि के साथ मुख्यमंत्री (Chief Minister) के करीबी होने का फायदा मिल सकता है।

ज्ञानेश शर्मा 

कांग्रेस के पूर्व मीडिया विभाग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा (Gyanesh Sharma) मेयर टिकट के दावेदारों में प्रबल दावेदार हैं। ज्ञानेश शर्मा रायपुर नगर निगम में दो बार पार्षद (Corporator) रह चुके है। निगम की राजनीति के जानकार तो हैं ही साथ ही ज्ञानेश शर्मा के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्री रविंद्र चौबे (Minister Ravindra Chowbey) के करीबियों में चर्चा होती है। सीएम भूपेश बघेल के करीबी होने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीसीसी अध्यक्ष रहते हुए भूपेश बघेल ने ज्ञानेश शर्मा को पीसीसी मीडिया विभाग के अध्यक्ष की कमान सौंपी थी।

मेयर-प्रमोद दुबे

वर्तमान मेयर प्रमोद दुबे (Mayor Pramod dubey) टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। प्रमोद दुबे को टिकट मिलने के पीछे की वजह मुख्यमंत्री के करीबी होना। ब्राम्हण समाज में अच्छी पकड़ और मिलनसार व्यक्तित्व है। प्रमोद दुबे के टिकट नहीं मिलने का माइनस प्वाइंट लोकसभा चुनाव में करारी हार हो सकता है। रायपुर की चार विधानसभा सीट में तीन कांग्रेस के पास होने के बाद भी लोकसभा में उन्हें करारी हार मिली थी। मेयर रहते हुए भी पार्टी संगठन ने उन्हें विधानसभा की टिकट ऑफर किया था। जिसे प्रमोद दुबे ने मना कर दिया जिसके चलते उन्हें टिकट नहीं मिलने की भी अटकलें है।

विकास उपाध्याय

रायपुर पश्चिम से विधायक विकास उपाध्यय (MLA Vikas Upadhyay) मेयर पद के प्रबल दावेदार में शामिल हैं। दरअसल विकास उपाध्याय राजेश मूणत को हराकर विधानसभा में पंहुचे और उनकी सक्रीयता को देखते हुए संगठन दांव अजमा सकता है। विकास उपाध्याय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इर्द गिर्द नज़र आ रहे हैं। विकास उपाध्याय को टिकट नहीं मिलने का माइनस प्वाइंट ये हो सकता है कि वे वर्तमान में विधायक है और पार्टी के दूसरे नेता उनका विरोध कर सकते हैं।

घनश्याम राजू तिवारी

पूर्व पार्षद कांग्रेस प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी (Ghanshyam Raju tiwari) का नाम भी रायपुर मेयर पद के दावेदारों की सूची में हैं। घनश्याम राजू को विधानसभा अध्यक्ष डॉ.चरणदास महंत का करीबी माना जाता है। घनश्याम राजू तिवारी ने खुलकर अपनी दावेदारी की है।

 

विकास तिवारी

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी (Vikash Tiwari) भी मेयर पद की टिकट के लिए लॉबिंग में जुटे हैं। विकास तिवारी ने भाजपा सरकार के कई भ्रष्टाचार को उजागर किया था और सुपर सीएम अमन सिंह के खिलाफ भी शिकायतें दर्ज कराई जिसकी जांच जारी है… कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उनकी निकटता बढ़ी है। प्रवक्ता के रूप में उनकी सक्रियता लगातार बनी हुई जिसकी वजह से उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।

अजीत कुकरेजा

एमआईसी मेंबर अजीत कुकरेजा (Ajit Kukreja) भी महापौर टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। अजीत कुकरेजा युवा चेहरा है कांग्रेस के आंदोलन में सक्रीय भूमिका निभाते रहे हैं। विधानसभा चुनाव में रायपुर उत्तर से प्रबल दावेदार रहे है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गुड बुक में है, निगम की राजनीति का अनुभव भी उनके काम आ सकता है।

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