बिलासपुर। आज शाम सिविल लाईन बिलासपुर की पुलिस डीजे पर कार्रवाई के नाम पर एक छोटी सी दुर्गा समिति की प्रतिमा के विसर्जन के लिए जाते समय साउंड सिस्टम को ज़ब्त कर थाने ले आई। इसके विरोध में समिति की महिलाओं ने थाना परिसर में ही धरना दे दिया। महिलाओं का कहना है कि उनके साउंड सिस्टम कानफोड़ू डीजे की तरह नहीं है जो उन पर कार्रवाई की गई है।

कोर्ट के आदेश का पालन..!

कानफोड़ू डीजे पर कोर्ट ने पहले ही प्रतिबन्ध लगा रखा है। इसका पालन करने करने के लिए समय-समय पर आदेश-निर्देश भी निकलते रहते हैं, मगर इस बार भी रायपुर, बिलासपुर सहित प्रदेश के अन्य शहरो और कस्बों में लोगों ने धूम-धड़ाके के साथ गणेश और दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया, मगर कहीं से भी पुलिस द्वारा कार्रवाई की खबर नहीं, ऐसे में बिलासपुर की सिविल लाइन पुलिस द्वारा एक छोटे से समूह द्वारा दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के लिए जाते समय अपेक्षाकृत छोटे साउंड सिस्टम का इस्तेमाल पर कार्रवाई करना सभी को अचरज में डाल रहा था।

कार्रवाई के विरोध में धरना, खानापूर्ति का आरोप

पुलिस ने जब यह कार्रवाई की तब पूजा समिति की महिलाएं मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ सिविल लाइन थाने पहुँच गईं और वही पर बच्चो समेत धरना दे दिया।

महिलाओं ने आरोप लगाया कि पुलिस खानापूर्ति की कारवाई कर रही है। न तो हम किसी तरह हुड़दंग मचा रहे थे और ना ही हमारे साउंड सिस्टम की आवाज़ बहुत तेज़ थी। शहर भर में बड़े-बड़े डीजे बज रहे हैं, लेकिन पुलिस उनपर कारवाई नहीं कर रही है। एक तरफ महिलाओ का धरना चल रहा था तो उसी वक्त थाने के बाहर तेज डीजे बज रहे थे, महिलाओं ने इस ओर इशारा करते हुए कहा कि पुलिस ऐसे कानफोड़ू डीजे वालो पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। विरोध के बाद पुलिस ने छोड़ा

पुलिस की इस कार्रवाई के विरोध में धरना होता रहा, इस बीच कांग्रेस के कुछ नेता भी थाने पहुँच गए और पुलिस से कार्रवाई नहीं करने का अनुरोध करते रहे। जिसके बाद पुलिस ने समझाइश देते हुए बिना कार्रवाई के ही समिति को विसर्जन के लिए जाने दे दिया। छत्तीसगढ़ में भले ही डीजे पर प्रतिबन्ध है मगर सच तो यह है कि इस पर रोक लगाने में पुलिस के भी हाथ-पांव फूल रहे हैं। एक तरफ डीजे संचालक बेरोजगार होने का हवाला देकर बार-बार प्रशासन को इसके लिए अनुमति देने की मांग करते हैं तो दूसरी ओर शांतिप्रिय जनता और ENT विशेषज्ञ डीजे पर रोक लगाने की अपील कर रहे हैं। ऐसे में अगर पुलिस छोटी-मोटी समितियों पर कार्रवाई करती भी है तो सवाल उठना भी लाजिमी है।