बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से आयोग, निगम और मंडलों में की गई नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका को हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इस पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की और राज्य सरकार समेत सभी पक्षकारों से जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया था कि अध्यक्ष पदों पर मनमर्जी से नियुक्तियां की गई हैं। साथ ही इन पर सिर्फ राजनीतिक व्यक्तियों को बैठाया गया है।

बिलासपुर के अभिषेक चौबे ने वकील योगेश्वर शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित दायर की है। इसमें बताया गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने विभिन्न संवैधानिक आयोग जैसे बाल अधिकार संरक्षण आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग आदि में अध्यक्ष पद पर पिछले दिनों नियुक्ति की गई थी। नियुक्त लोगों के चयन में कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई और न ही विज्ञापन के जरिए भर्ती हुई हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की दी गई दलील

याचिका ने नियमों का हवाला देते हुए कहा गया है, बाल अधिकारों के संरक्षण में कार्य के लिए व्यक्ति और अनुसूचित जनजाति के मामलों की जानकारी रखने वाले व्यक्ति का चयन इन पदों पर करना था। चेयरमैन की नियुक्ति चयन समिति द्वारा होनी थी जबकि, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे पदों पर नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया को वेबसाइट पर सार्वजनिक करने को कहा था।

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