फर्जी आई डी के सहारे गावों में कर रहे थे वसूली : 04 युवकों को पकड़ कर किया गया पुलिस के हवाले
फर्जी आई डी के सहारे गावों में कर रहे थे वसूली : 04 युवकों को पकड़ कर किया गया पुलिस के हवाले

कोरबा। लॉकडाउन का भय दिखाकर सीधे-सादे लोगों से रुपयों की उगाही करने वाले 04 फर्जी पत्रकारों को ग्रामीणों ने हवालात पहुंचा दिया। सभी युवक चांपा जिले के रहने वाले हैं और पास ही स्थित कोरबा जिले के एक गांव में दूसरी बार पहुंचे। यहां वे लोगों से वसूली में लगे हुए थे। इसी दौरान कुछ अन्य ग्रामीणों ने इन्हें पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया गया।

दुकानदार और मजदूर से की वसूली

यह मामला कोरबा जिले के उरगा थाने के ग्रान फरसवानी का है, जहां सैलून की दुकान चलाने वाले राकेश श्रीवास ने पुलिस को बताया कि लॉक डाउन के दौरान ही पूर्व में जब वह एक दिन अपनी दुकान में सफाई कार्य कर रहा था , तभी दो बाइक में सवार 4 युवक पहुंचे और खुद को मिडिया कर्मी बताते हुए उसे धमकाने लगे कि तुमने लॉक डाउन के दिन दुकान खोल रखा है, तुम्हे जेल भिजवा देंगे। फंसाने की धमकी देकर युवकों ने उससे 5 हजार रुपयों की मांग की। किसी तरह उसने हजार रूपये देकर इनसे पीछा छुड़ाया। राकेश को पता चला कि ऐसे ही युवक गांव में फिर पहुंचे हुए हैं और इन्होने एक दुकानदार और महिला मजदूर से रुपयों की वसूली की है।

राकेश श्रीवास ने युवकों को पहचान लिया, फिर क्या था, ग्रामीणो ने इन्हे पकड़कर बिठाया और पुलिस को बुलाकर उनके सुपुर्द कर दिया। बताया जाता है ग्रामीणों ने युवकों की जमकर खातिरदारी भी की।

08 फर्जी आई कार्ड मिले युवकों से

उरगा थाना प्रभारी विजय चेलक ने बताया कि पकडे गए चारों युवक चांपा शहर के रहने वाले हैं, इनके पास से 08 आई कार्ड मिले, जो अखबारों और न्यूज़ पोर्टल के थे। पुलिस ने देर रात सभी संस्थाओं के प्रमुख लोगों से संपर्क किया। इस दौरान पता चला की एक भी आई कार्ड सही नहीं है। पुष्टि के बाद इन युवकों के खिलाफ धरा 384, 34 के तहत जुर्म दर्ज किया गया।

जांजगीर जिले में भी है मामला दर्ज

पुलिस के मुताबिक चारों युवक लॉक डाउन के दौरान इसी तरह गांव-गांव में घूमकर लोगों से रुपयों की वसूली किया करते थे। इनमे राजेंद्र प्रसाद और सुखसागर माथुर शामिल हैं जिनके खिलाफ कोरबा के पाली और जांजगीर जिले में भी अवैध वसूली का मामला दर्ज है। इनके अलावा पवन नामदेव और कीर्तन पटेल भी शामिल हैं। वसूली के लिए दोबारा उसी गांव में पहुंचना इन तथाकथित पत्रकारों के लिए महंगा साबित हुआ, और ये पकड़ लिए गए।

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