रायपुर। दुर्घटना के वक्त गंभीर घायलों की जान बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाई जा रही संजीवनी 108 वाहन अब कैज्यूल्टी वाले मरीजों के लिए जानलेवा साबित होने लगी है। हालत ये है कि दुर्घटना के समय मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए किए गए कॉल पर केवल कॉल फारवर्ड करने व कॉल बैक करने की बात कह कर टाल-मटोल किया जा रहा है। वहीं इमरजेंसी सेवा की ठेका कंपनी द्वारा वाहनों की आपूर्ति नहीं किए जाने के सवाल पर अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

ऐसा ही मामला शुक्रवार को गरियाबंद जिले में सामने आया जिसमें चार घंटे में तीन सड़क हादसों में 37 लोग घायल हो गए। इनमें 7 गंभीर लोगों इमरजेंसी सुविधा नहीं मिलने पर निजी साधनों से अस्पताल में कराया भर्ती करना पड़ा। जिसके बाद लोगों को गुस्सा फूट पड़ा।

संजीवनी 108 वाहन आपरेटर की लापरवाही सामने आने पर गरियाबंद नगरपालिका अध्यक्ष गफ्फूर मेमन, उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सोनटके समेत आधा से ज्यादा भाजपा पार्षद व कुछ कांग्रेसी नेता जिला अस्पताल के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठ गए। मगर अब तक संजीवनी का कोई अतापता नहीं है। धरने पर बैठे गफ्फूर ने कहा कि जब तक इमरजेंसी सेवा बहाल नहीं की जाएगी, तब तक धरना जारी रहेगा। इधर धरने की सूचना मिलते लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है।

यहां के लिए जल्द ही दो नए एम्बुलेंस आने को है। इमरजेंसी सेवा वाले कम्पनी से कहा जा रहा है, तत्काल अभी वैकल्पिक व्यवस्था करें।
.एनके नवरत्न, सीएमएचओ गरियाबंद

 

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