TRP Story-35 साल में पूरा हुआ 100 से 60 हजार तक पहुंचने का सेंसेक्स का सफर, जानें स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव की कहानी, आज भी जहन में है ताजा है 1992 के हर्षद मेहता स्कैम की यादें

टीआरपी न्यूज। भारतीय शेयर बाजार ने शुक्रवार 24 सितंबर को अपने कारोबारी सप्ताह के अंतिम दिन रिकार्ड तेजी दिखाते हुए ओपनिंग बेल में 60,158.76 पर खुल कर दिनभर के कारोबार में 60,333.00 की उंचाई पर पहुंच कर नया रिकार्ड रच दिया। पूरे दिन के कारोबार में सेंसेक्स अपनी तेजी को बनाए रखने में कामयाब दिखा, क्लोसिंग बेल से पहले बीएसई इंडेक्स सेंसेक्स 59,996.92 पर बंद हुआ। भारतीय शेयर बाजार में आई इस तेजी को पूरा करने में बीएसई इंडेक्स सेंसेक्स को पूरे 35 साल लगे।

आइए जानते हैं इन 35 साल में शेयर बाजार में आए उतार चढ़ाव का दौर…

1986 में शुरु हुआ था सेंसेक्स का सफर

साल 1986 में इसकी शुरुआत हुई और आज सेंसेक्स 35 साल का हो चुका है। शुरुआत में इसका बेस 100 रखा गया था। चार साल बाद ये चार अंकों पर पहुंचा। जुलाई 1990 में ये आंकड़ा 1000 प्वॉइंट पर पहुंच गया। 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद सरकार ने FDI के दरवाजे खोले और बिजनेस करने के कानून को समाप्त बदलाव किया।

90 के दशक के अंत और 2000 की शुरुआत में IT कंपनियों में तेजी से हो रहे निवेश को देखते हुए पुरानी कंपनियों की जगह TCS और इन्फोसिस को सेंसेक्स में शामिल किया गया। ये सभी कंपनियां एक्सपोर्ट के जरिए बिजनेस बढ़ाती रही हैं। वहीं IT सेक्टर में आउटसोर्सिंग की वजह से इन्फोसिस जैसी कंपनियों को फायदा हुआ है। टाटा जैसी ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनी ने UK जैसे विकसित बाजारों में कदम रखा है।

साल 2006 में पहली बार 10 हजार के आंकड़े पर पहुंचा सेंसेक्स

फरवरी 2006 में सेंसेक्स पहली बार 10 हजार के आंकड़े को पार कर गया। इसकी एक वजह ग्लोबल कमोडिटी मार्केट में बूम होना भी बड़ा फेक्टर था । इसके बाद भी सेंसेक्स में तेजी का दौर जारी रहा। खरीदारी में निवेशकों की उत्साह के चलते 2006 और 2007 में सेंसेक्स में बढ़त जारी रही। ग्लोबल मार्केट में कैश फ्लो बढ़ने से दिसंबर 2007 में सेंसेक्स ने 20 हजार का आंकड़ा छू लिया।

सत्यम घोटाले और 2008 की आर्थिक मंदी से गिरा बाजार

आपको बता दें जो बाजार 22 महीने में 10 से 20 हजार तक पहुंचा था, वो 2008 की आर्थिक मंदी में टूटकर दस हजार के करीब पहुंच गया। 2009 में हुए सत्यम घोटले के बाद ये और गिरा और दस हजार के भी नीचे आ गया। 2009 के लोकसभा चुनाव और UPA की जीत के बाद ये फिर से तेजी से बढ़ने लगा और नवंबर 2010 में ये फिर से 21 हजार के आंकड़े तक पहुंच गया।

2014 मोदी सत्ता में आए तो 25 हजारी हुआ सेंसेक्स

16 मई 2014 को लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी पहली बार जीत कर केंद्र की सत्ता में आए। मोदी सरकार का सेंसेक्स ने भी स्वागत किया और पहली बार 25 हजार के आंकड़े को छुआ। दस महीने बाद 4 मार्च 2015 को सेंसेक्स ने 30 हजार के आंकड़े को छू लिया।

नोटबंदी के दौरान BSE को लगा था बड़ा झटका

सितंबर 2016 में दुनियाभर के बाजारों में मंदी के संकेत और चीन के खराब आर्थिक अनुमान के कारण सेंसेक्स एक बार फिर से 25 हजार के नीचे आ गया। इसके बाद बिहार चुनाव नतीजों और नोटबंदी के दौरान भी BSE को बड़े झटके लगे। नोटबंदी के अलगे दिन 9 नवंबर 2016 को सेंसेक्स में 1689 अंकों की गिरावट आई थी।

मोदी की दोबारा जीत ने बढ़या निवेशकों का भरोसा, 40 हजार अंक तक उछला सेंसेक्स

इसके बाद 23 मई 2019 को लोकसभा चुनाव के नतीजे आए। एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार की सत्ता में वापसी हुई। बाजार ने भी नतीजों पर जश्न मनाया और पहली बार 40 हजार के आंकड़े को छुआ। 4 दिसंबर 2019 को बाजार 45 हजार के आंकड़े को छू चुका था।

कोरोना से उबरने में कामयाब रहा बाजार

इसके बाद कोरोना ने दस्तक दी और बाजार का गिरना शुरू हुआ। 23 मार्च 2020 यानी जनता कर्फ्यू के अगले दिन बाजार 25,981 के निचले स्तर तक पहुंच गया। यानी चार महीने से भी कम समय में करीब 20 हजार अंकों की गिरावट आई, लेकिन लॉकडाउन के दौरान बाजार ने धीरे-धीरे बढ़ना शुरू किया।

2021- पहली बार 50 हजार के आंकड़े पर पहुंचा सेंसेक्स

साल 2021 शुरुआती महीने में सेंसेक्स ने फिर बड़ी छलांग लगाई है। इस बार उसने 50 हजार के आंकड़े को छुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिका में नए राष्ट्रपति बाइडेन का सत्ता में आना है। इससे पहले अनेक देशों की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के समय लगे लॉकडाउन के बीच धराशायी हो गई, लेकिन वैक्सीन आने के बाद से सेंसेक्स ने फिर रफ्तार पकड़ी है। और शुक्रवार 24 सितंबर को सेंसेक्स 60 हजार के रिकार्ड आंकड़े पर आकर खड़ा हो गया है।

आज भी याद है हर्षद मेहता की वो काली कहानी, चार हजार करोड़ घोटाला जिसने बदल डाली थी शेयर बाजार की दिशा


आपको बता दें कि जब भी भारतीय शेयर बाजार की चर्चा होगी शेयर दलाल हर्षद मेहता का जिक्र जरूर होगा। हर्षद मेहता ऐसे शख्स थे जिन्होंने 1990 के दशक में देश का वित्तीय बाजार बुरी तरह से हिला कर रख दिया था इसके बाद उनके जीवन पर किताब भी लिखी गई और वेब सीरीज भी बनी। अब अभिनेता अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘द बिग बुल’ रिलीज हुई है, जिसके बाद से लोगों में इस कहानी का क्रेज और बढ़ गया है।

आपको याद दिला दें कि देश में इकोनॉमिक रिफॉर्म्स की शुरुआत साल 1991 में हुई थी। भारतीय अर्थव्यस्था के लिए साल 1990 से 1992 का समय बड़े बदलाव का वक्त था। लेकिन, इस बीच एक ऐसा घोटाला सामने आया, जिसने शेयरों की खरीद-बिक्री की प्रकिया में ऐतिहासिक परिवर्तन किए। इस घोटाले के जिम्मेदार हर्षद मेहता थे।

यह घोटाला करीब 4,000 करोड़ रुपए का था और इसके बाद ही सेबी को शेयर मार्केट में गड़बड़ी रोकने की ताकत दी गई। घोटाले के मुख्य आरोपी हर्षद मेहता का 2002 में निधन हो गया। लेकिन 1992 के बहुचर्चित स्टॉक मार्केट स्कैम की यादें भी अब बहुत कम लोगों के जेहन में हैं।

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