कामयाबी की कहानी: सिर्फ पांच लाख रुपए में हुई थी सीरम इंस्टीट्यूट की शुरुआत, जानें वैक्सीन उद्योग के बादशाह कैसे कहलाए अदार पूनावाला
कामयाबी की कहानी: सिर्फ पांच लाख रुपए में हुई थी सीरम इंस्टीट्यूट की शुरुआत, जानें वैक्सीन उद्योग के बादशाह कैसे कहलाए अदार पूनावाला

टीआरपी डेस्क। साल 2019 के आखिरी महीनों में जब चीन से कोरोना वायरस की खबरें सामने आईं, तो इसने लगभग पूरी दुनिया को डरा दिया। लेकिन साल 2020 की शुरुआत में इस वायरस ने ऐसा रूप दिखाया कि लगभग पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया। ऐसे में इस वायरस से लोगों को बचाने के लिए लंबे लॉकडाउन लगाए गए, लेकिन इस कोरोना वायरस को रोकने के लिए इतना सब काफी नहीं था।

ऐसे में दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने कोरोना की वैक्सीन बनाने पर काम तेजी से शुरू किया। इसमें भारत भी पीछे नहीं था और सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला की देखरेख में कोविशील्ड नाम की वैक्सीन पर काम शुरु हुआ और आज सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड वैक्सीन का भारत के अलावा दुनिया के दूसरे देशों में सबसे बड़ा वैक्सीन आपूर्तिकर्ता है।

बता दें कि अदार के पिता सायरस पूनावाला ने  पांच लाख रुपये से साल 1966 में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की की शुरूआत की थी। वहीं, फोर्ब्स की सूची के मुताबिक वे दुनिया के 165वें नंबर के और भारत के छठे सबसे अमीर शख्स हैं।

ऑक्सफोर्ड एस्ट्रजेनेका के साथ समझौता

दरअसल, अदार पूनावाला की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड एस्ट्रजेनेका के साथ कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए समझौता किया हुआ है। भारत दुनिया में सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक है, और इसमें सीरम इंस्टीट्यूट एक बड़ा नाम है।

19वीं शताब्दी में आए पुणे

कहा जाता है कि ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी में पूनावाला का परिवार पुणे आया। इस दौरान कई पारसी परिवार भारत में बसने लगे और प्रशासन से लेकर कारोबार तक में खुद को स्थापित किया। यही नहीं, जिन शहरों में ये परिवार बसे उन शहरों के नाम इन लोगों के नाम में देखने को मिलते हैं। जैसे कि अदार के परिवार का नाम पूनावाला पड़ा।

घोड़ों के व्यापार ने दिलाई बुलंदी

भले ही स्वतंत्रता से पहले के दौर में पूनावाला परिवार कंस्ट्रक्शन के कारोबार में था, लेकिन इन्हें जाना घोड़ों के कारोबार की वजह से जाता था। यहां आपको ये जानकारी दे दें कि अदार के द्वारा सोली पूनावाला ने घोड़ों का कारोबार शुरू किया था और उन्होंने कई घुड़साल बनाए जिसमें बेहद ही अच्छी किस्म के घोड़ों को रेस के लिए तैयार किया जाता था।

वहीं, घोड़ों के व्यापार के कारण ही पूनावाला परिवार का रिश्ता बड़े उद्योगपतियों से जुड़ा। वहीं, जब अदार के पिता सायरस ने घोड़ों के कारोबार को बढ़ाने के बारे में सोचा तो उनका ध्यान वैक्सीन उत्पादन की तरफ गया ।

उन्होंमे इस जोखिम को उठाया, क्योंकि इस क्षेत्र में भविष्य की कोई गारंटी नहीं दे सकता था। यही नहीं, उस दौर में भारत काफी सीमित स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन करता था, जिसमें सरकार की भूमिका ज्यादा होती थी।

ऐसे लिया वैक्सीन कंपनी बनाने का फैसला

ये विचार सायरस को ऐसे आया कि उस वक्त मुंबई में हाफकिन इंस्टीट्यूट को पूनावाल के फर्म से वो घोड़े दिए जाते थे, जो बूढ़े हो जाते थे और इन घोड़ों का इस्तेमाल सर्पदंश और टिटनेस का टीका बनाने में होता था। ऐसे में सायरस ने जब इस बारे में सोचा तो उन्होंने अपने घोड़ों का इस्तेमाल खुद ही करने का किया और इस क्षेत्र में आ गए, जिसके बाद साल 1966 में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की स्थापना की गई।

पोलियो उन्मूलन टीका को अवसर में बदला

इसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट ने कई बीमारियों के लिए वैक्सीन का उत्पादन करना शुरू कर दिया। 1971 में कंपनी ने खसरा और कंठमाला रोग के टीके बनाए जो काफी प्रभावी रहे। वहीं, जल्द ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम शुरू हुआ, तो इसे सीरम ने एक अवसर के तौर पर देखते हुए यूरोप और अमेरिकी तकीनक लाकर अपना उत्पादन बढाया और साथ ही उत्पादों की कीमत सस्ती रखी। वहीं, पांच लाख रुपये से सायरस ने सीरम इंस्टीट्यूट की शुरूआत की थी। वहीं, फोर्ब्स की सूची के मुताबिक वे दुनिया के 165वें नंबर के और भारत के छठे सबसे अमीर शख्स हैं।

साल 2011 में अदार बने सीईओ

अदार पूनावाला इंग्लैंड से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2001 में सीरम इंस्टीट्यूट से जुड़े। शुरुआत में सेल्स विभाग से काम शुरू करते हुए साल 2011 में वे सीरम समूह के सीईओ बने और मौजूदा समय में पिता सायरस से ज्यादा उनकी छाप देखने को मिलती है। सीईओ बनने के बाद अदार लगातार आगे बढ़ते गए और उन्होंने कंपनी का विस्तार किया।

2012 में डच सरकारी वैक्सीन निर्माता कंपनी का अधिग्रहण किया, जिसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया भर में सबसे ज्यादा वैक्सीन उत्पादित करने वाली कंपनी बन गई। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि जहां साल 2001 में सीरम समूह 35 देशों को वैक्सीन की आपूर्ति करता था, तो वहीं मौजूदा समय में सीरम दुनिया के 165 देशों में वैक्सीन की आपूर्ति करता है।

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