स्मार्ट सिटी सर्जरी 11: Raipur Smart City Limited को नहीं है क्रेडा पर भरोसा, लखनऊ की प्राइवेट एजेंसी को दिया करोड़ों का ठेका

दामिनी बंजारे

रायपुर। राजधानी को स्मार्ट लुक देने के साथ शहर को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से शहर के 20 प्रमुख स्थलों पर स्मार्ट पोल लगाए गए थे। सभी स्मार्ट खंभों में खासतौर पर महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पैनिक बटन की सुविधा दी गई थी। परेशानी में के दौरान पैनिक बटन को दबाते ही तत्काल पुलिस सहायता मिलनी थी। इसी के साथ ही इन खंभों में लाइट्स के अलावा कई तरह की सुविधाएं शहर के नागरिकों को देने का दावा किया गया था। साथ ही सर्विलांस सिस्टम के जरिये अपराध केस पर नजर रखना भी इन स्मार्ट पोल का काम था मगर स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने इसका जो डाटा दिया है वो हकीकत से मेल नहीं खाता। क्योंकि अधिकारियों द्वारा तीन वर्ष में 17 सौ केस ही दर्ज किए गए हैं।

टीआरपी टीम जब स्मार्ट पोल के पड़ताल पर पहुंची तो शहर सुरक्षा और स्मार्टनेस के दावे उलट ही दिखाई दिए। शहर के इन पोलों में लगे पैनिक बटन काम ही नहीं कर रहे तो कुछ में लगी एलईडी ही नहीं चल रही।

एक पोल पर हुए 15 से 20 लाख खर्च

एक स्मार्ट पोल को बनाने में करीब 15 से 20 लाख रुपए खर्च किये गए है। केबल, कैमरा, एलईडी स्क्रीन, वाईफाई आदि को मिलाकर इन सभी 20 खंबों को लगभग चार करोड़ रुपए की लागत में शहर के ऐसे चुनिंदा स्थान पर लगाया गया है। जहां लोगों की आवाजाही रहती है। इंटीग्रेटेड ट्रेफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) के जरिए क्राइम को रिकॉर्ड करना भी इनका मकसद था। मगर कई जगहों पर कैमरा सही तरीके से कार्य नहीं कर रहा तो कहीं एलईडी बन्द है

पोल के जरिए इन सुविधाओं का किया गया था दावा

  • मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी
  • सर्विलांस सिस्टम
  • स्ट्रीट लाइटिंग
  • एनवायरमेंट एंड वेदर अलर्ट
  • फिक्स्ड बॉक्स कैमरा
  • ईवी चार्जिंग प्वॉइंट

वाई-फाई सुविधा पड़ी ठप्प

जिम्मेदार अधिकारियों के अनुसार स्मार्ट पोल के जरिए शहरवासियों के लिए फ्री वाई-फाई की सुविधा भी दी जा रही है। जिसमें इसकी रेंज 40-50 मीटर तक रखी गई है। इसका उपयोग करने पर आपके नंबर के साथ gmail पर ओटीपी भेजा जाता है जिसके जरिये आप तीस से चालीस मिनट तक फ्री इंटरनेट सेवा का उपयोग कर सकते हैं। मगर राजधानी के कई पोल ऐसे भी हैं जहां ओटीपी आने में वक्त लग रहा है। कई बार ऐसा भी होता है कि ओटीपी आती ही नहीं है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों खर्च कर पोल तो खड़े कर दिए मगर उनका रखरखाव की सुध किसी को नहीं है।

120 वॉट की एलइडी बंद

स्मार्ट पोल में 120 वॉट के एलइडी बल्ब भी लगाए गए हैं। पोल की ऊंचाई दो जगहों कलक्ट्रेट के पीछे ऑक्सीजोन और रावणभांठा आइएसबीटी में 25 मीटर की है। बाकी जगहों पर 12 मीटर पोल की ऊंचाई रखी गई है। इस पोल में शासन की योजनाओं के प्रचार-प्रसार व अन्य संदेश देने के लिए 4.5 मीटर की ऊंचाई पर एक बड़ा एलइडी स्क्रीन लगाया गया है। मगर कई चौक-चौराहों पर ये एलईडी बंद पड़े हुए हैं।

इन जगहों पर लगे हैं स्मार्ट पोल

नेकी की दीवार, मरीन ड्राइव,पंडरी बस स्टैंड, साक्षरता चौक, इंडोर स्टेडियम, बूढ़ा तालाब उद्यान, अनुपम गार्डन, शहीद स्मारक, सेंट्रल लाइब्रेरी, व्हीआईपी चौक राम मंदिर, रेलवे स्टेशन, शंकर नगर, पचपेड़ी नाका, मेकाहारा अस्पताल, रावणभाटा, खमतराई बाजार, विधानसभा, एग्रीकल्चर कॉलेज, पुलिस ग्राउंड, एम्स हॉस्पिटल गेट नंबर 3।

3 सालों में महज 1700 केस दर्ज

NCRB की क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ पांचवे स्थान पर है। राजधानी में आए दिन रोड एक्सीडेंट, चाकूबाजी की घटना की खबरें सुर्खियों में रहती हैं। इतना ही नहीं पुलिस भी सुरक्षा के लिए मुहिम चला रही है। इसके बावजूद 3 सालों में स्मार्ट पोल में लगे कैमरों की मदद से मात्र 17 सौ केस ही दर्ज हुए है। जब की ये पोल राजधानी के ऐसे चुनिंदा स्थान पर लगाया गया है,जहां आए दिन अपराध या दुर्घटना के मामले सुनाई देते हैं। इस जगहों में इन पोलों पर लगे सीसीटीवी कैमरे खराब हैं जिसके कारण कई अपराध दर्ज नहीं हो रहे।

अस्पताल में नहीं पकड़ता नेटवर्क

मेकाहारा अस्पताल के बाहर पर स्मार्ट पोल लगाया गया है। जहां न ही लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था है और न ही अस्पताल में इसका नेटवर्क ट्रेस हो पाता है। जबकि मेकाहारा अस्पताल में लगें स्मार्ट पोल की एलईडी टीवी एक साल से बंद है। वहीं एलईडी लाइट भी खराब है। हालांकि कुछ जगहों पर जैसे तेलीबांधा तालाब व अन्य उद्यानों में लोग पोल में लगे वाई-फाई का उपयोग तो करते हैं मगर यहां स्पीड की दिक्कत होती है। जहां राजधानी की आबादी 20 लाख से ज्यादा है ऐसे में अगस्त माह में 2500 सौ यूजर्स का निःशुल्क वाईफाई का उपयोग किया है।

लापरवाही के भेंट चढ़े स्मार्ट पोल

शहर में 4 करोड़ की लागत से लगए गए स्मार्ट पोल की अधिकारीयों द्वारा निगनी भी नहीं की जा रही है। तेलीबांधा तालाब के पास एक स्मार्ट पोल पर लगई गई एलईडी टीवी की भी खराब हो गई है। इसकी जानकारी नगर निगम के अधिकारियों को नहीं है।

चार्जिंग प्वॉइंट का अतापता नहीं

19 फरवरी 2019 में जब ये स्मार्ट पोल लगाए गए जा रहे थे तब दावा किया गया था कि इन पोल्स से इससे ई-रिक्शा चालकों की चार्जिंग की दिक्कत दूर होगी। इसमें लगे चार्जिंग पॉइंट से तमाम तरह की इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियां चार्जिंग हो सकेंगी। मगर इन में से कई पोल ऐसी जगहों पर लगे हैं जहां लोगों के खड़े होने की जगह तक नहीं है। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियां कैसे चार्ज हो सकेंगी यह अपने आप में ही बड़ा सवाल है। एक स्मार्ट पोल गांधी उद्यान के अंदर लगा हुआ है जहां बाहर गेट पर ताला लगा रहता है। ऐसे में ई-रिक्शा चालक अपने वाहन गांधी उद्यान में लगे स्मार्ट पोल से नहीं कर सकते।

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