जल्द ही LIC और BPCL समेत कई कंपनियां में हिस्सा बेचेगी सरकार, 1.75 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य

नई दिल्ली। एअर इंडिया को निजी हाथों में सौंपने के बाद अब केंद्र सरकार निजीकरण और विनिवेश का लक्ष्य पूरा करने के लिए तेजी से काम करेगी। वित्तीय वर्ष 2021-22 में मोदी सरकार आधा दर्जन से ज्यादा कंपनियों के निजीकरण या विनिवेश की योजना बना रही है।

लक्ष्य से बहुत पीछे है सरकार

सरकार ने इस वित्त वर्ष में निजीकरण से 1.75 लाख करोड़ रुपए हासिल करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन अभी तक सरकार को एक्सिस बैंक, एनएमडीसी और हुडको आदि में हिस्सेदारी की बिक्री से सिर्फ 8,369 करोड़ रुपए और हाल में एअर इंडिया की बिक्री से करीब 18 हजार करोड़ रुपए मिले हैं। इस तरह अभी तक करीब 26,369 हजार करोड़ रुपए ही जुटाया जा सका है। ऐसे में सरकार को 1.75 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य पूरा करने के लिए अभी भी बहुत पैसे जुटाना है।

इन कंपनियों के निजीकरण से भरेगी सरकार अपनी जेब

LIC : केंद्र सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम यानी लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) में अपनी हिस्सेदारी बेचकर पैसे कमाना चाहती है। सरकार LIC का IPO लाकर 1 लाख करोड़ रुपए तक जुटा सकती है।

BPCL : भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) का सरकार पूरी तरह से निजीकरण करने जा रही है। इसके लिए दिसंबर तक फाइनेंश‍ियल बिड बुलाई जा सकती हैं। भारत पेट्रोलियम में सरकार की 53% हिस्सेदारी है, जिसकी कीमत करीब 50 हजार करोड़ रुपए है।

पवन हंस : हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी पवन हंस को भी प्राइवपेट हाथों में देने की योजना है। इसमें फिलहाल सरकार की 51% हिस्सेदारी है और 49 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी तेल एवं गैस कंपनी ओएनजीसी की है। ओएनजीसी ने भी अपना हिस्सा बेचने का फैसला किया है।

नीलांचल इस्पात निगम : नीलांचल इस्पात निगम के लिए सरकार को कई कंपनियों से एक्सप्रेशन ऑफ रिक्वेस्ट (EOI) मिला है। इसका भी मार्च 2022 से पहले निजीकरण किया जाना है।

सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड : एअर इंडिया के निजीकरण के बाद अब मोदी सरकार ने एक और सरकारी कंपनी सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) की बिक्री की तैयारी तेज कर दी। सरकार को इस कंपनी की बिक्री के लिए फाइनेंशियल बोलियां मिल गई हैं। वित्त मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है।

IDBI बैंक : कैबिनेट ने IDBI बैंक में रणनीतिक विनिवेश और मैनेजमेंट कंट्रोल ट्रांसफर के लिए मंजूरी दे दी है। इस बैंक में केंद्र सरकार और LIC की कुल 94% हिस्सेदारी है। जिसमें LIC की 49.24% और सरकार की 45.48% हिस्सेदारी है। इसके अलावा 5.29% हिस्सेदारी अन्य निवेशकों की है। वित्त मंत्री ने बजट के दौरान कहा था कि IDBI बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया मौजूदा वित्त वर्ष में ही पूरी हो जाएगी।

SCI : शिपिंग कॉर्प ऑफ इंडिया (SCI) का भी मार्च 2022 से पहले निजीकरण किया जाना है। इसमें भी सरकार अपनी पूरी 63.75% हिस्सेदारी बेच रही है। इसके लिए भी कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है। जिसमें से तीन कंपनियों का नाम फाइनल किया गया है।

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