भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सुधा भारद्वाज को मिली डिफॉल्ट जमानत, छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के हक के लिए कर चुकी हैं काम

टीआरपी डेस्क। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आज बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) ने गिरफ्तार सुधा भारद्वाज की डिफॉल्ट जमानत की अर्जी को मंजूरी दे दी है। लेकिन उन्हें विशेष एनआईए (NIA) कोर्ट में अर्जी देनी होगी। इसके बाद जमानत और शर्तें तय होंगी। बाकी 8 आरोपियों की अर्जी खारिज कर दी गई हैं।

गौरतलब है कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी फादर स्टेन स्वामी की मौत हो गई है। वो लंबे समय से बीमार थे। स्टेन स्वामी की मौत के बाद अन्य आरोपियों को रिहा करने की मांग तेज हो गई है। इस केस में एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज व अन्य ने जमानत के लिए याचिका लगाई थी।

सुधा भारद्वाज अगस्त 2018 से जेल में हैं। भारद्वाज, एक वकील और कार्यकर्ता, जिन्होंने छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदायों और अन्य लोगों के अधिकारों के लिए काम किया है, गिरफ्तारी के समय दिल्ली के प्रतिष्ठित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ा रही थीं।

अधिवक्ता युग मोहित चौधरी के माध्यम से दायर भारद्वाज की याचिका में कहा गया है कि हिरासत के 90 दिनों की समाप्ति पर, चार्जशीट दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने वाला कोई वैध या वैध आदेश नहीं था, और इसलिए भारद्वाज डिफ़ॉल्ट जमानत की हकदार हैं।

क्या है डिफाल्ट जमानत

कानून के अनुसार, एक बार गिरफ्तारी के बाद मामले में जांच के लिये अधिकतम अवधि, जो 60, 90 और 180 दिन (अपराध की प्रकृति के मुताबिक) है, प्रदान की जाती है और इस अवधि में कोई आरोप पत्र दायर नहीं किया जाता है, तो आरोपी जमानत पर रिहा होने का हकदार हो जाता है, जिसे ‘डिफॉल्ट’ (आरोप पत्र दायर करने में चूक के कारकण मिली) जमानत कहा जाता है।

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