एमेजॉन और फ्लिपकार्ट ने प्रारंभिक जांच को कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी
एमेजॉन और फ्लिपकार्ट ने प्रारंभिक जांच को कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अमेजन और फ्लिपकार्ट की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा प्रतिस्पर्धा कानून के कथित उल्लंघन की प्रारंभिक जांच करने को चुनौती दी गई थी।जिसमें कहा गया था कि उन्हें कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) द्वारा प्रतिस्पर्धा-विरोधी (Anti-competitive) गतिविधियों के लिए जांच का सामना करना होगा। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि जांच को चुनौती देना, आपराधिक कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज करने से पहले नोटिस चाहने जैसा है। इसके साथ ही पीठ ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सीसीआई की जांच में सहयोग करने के लिए कहा।

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कंपनियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी

मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना और न्यायमूर्ति विनीत सरन और सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे बड़े संगठनों को जांच के लिए स्वेच्छा से आगे आना चाहिए। और आप ऐसा नहीं चाहते हैं। आपको पेश होना होगा और जांच की इजाजत देनी होगी। कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए ई-कॉमर्स कंपनियों ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था. बेंच ने कहा कि, उसे उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता है। सीसीआई को जवाब देने का समय नौ अगस्त को ही खत्म हो रहा है, पीठ ने इस समयसीमा को चार सप्ताह के लिए बढ़ा दिया। हालांकि, इस पर सीसीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताई।

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सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया

इससे पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 23 जुलाई को प्रतिस्पर्धा कानून के कथित उल्लंघन के लिए सीसीआई जांच के खिलाफ अमेजन-फ्लिपकार्ट की याचिका खारिज कर दी थी। कथित प्रतिस्पर्धा-विरोधी कार्यो में प्रारंभिक जांच के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सीसीआई की जांच जारी रहनी चाहिए हालांकि, अदालत ने सीसीआई को जवाब देने के लिए कंपनियों के लिए समय बढ़ाने के सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा किए गए अनुरोध को स्वीकार कर लिया।

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सीसीआई द्वारा जांच से डर रहीं – ई-कॉमर्स कम्पनियां

न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति नटराज रंगास्वामी की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के सिंगल जज द्वारा पारित 11 जून के आदेश को चुनौती देने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा दायर अपीलों के एक समूह पर यह आदेश पारित किया.
जिसके बाद बेंच ने कहा कि इस स्तर पर जांच को किसी भी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है और अपीलकर्ताओं को सीसीआई द्वारा जांच से डरना नहीं चाहिए। जिसने उसके प्लेटफॉर्म पर स्मार्टफोन की ऑनलाइन बिक्री में प्रतिस्पर्धा-विरोधी (anti-competitive) आचरण के आरोपों की एक महानिदेशक (डीजी) स्तर की जांच का आह्वान किया था।

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