हिंदुओं को भी अल्पसंख्यक का दर्जा दे सकते हैं राज्य : सुप्रीम कोर्ट
हिंदुओं को भी अल्पसंख्यक का दर्जा दे सकते हैं राज्य : सुप्रीम कोर्ट

टीआरपी डेस्क। पर्यावरण से संबंधित सुरक्षा उपायों को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए अखिल भारतीय सेवा की तर्ज पर भारतीय पर्यावरण सेवा का गठन करने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने इस याचिका को लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी किया।

न्यायाधीश एसके कौल और एमएम सुंदरेश की पीठ ने मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने यह संदेह भी व्यक्त किया कि क्या वह एक अलग अखिल भारतीय सेवा के निर्माण के लिए परमादेश जारी कर सकता है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि इस बात की जांच की जा सकती है कि क्या केंद्र का इरादा पूर्व कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को लागू करने का है।

2014 में प्रस्तुत रिपोर्ट का दिया हवाला

सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता समर विजय सिंह की ओर से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। समर विजय सिंह ने पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति की ओर से 2014 में प्रस्तुत रिपोर्ट का हवाला दिया है। इसमें एक नई अखिल भारतीय सेवा ‘भारतीय पर्यावरण सेवा’ का गठन करने की सिफारिश की गई है।

भारतीय पर्यावरण सेवा का गठन समय की जरूरत

याचिका में कहा गया है कि प्रशासन, नीति निर्माण और राज्य न केंद्र सरकारों की नीतियों के कार्यान्वयन की निगरानी में प्रशिक्षित कर्मियों की कमी है। कार्यान्वयन और प्रवर्तन की दिक्कतों के चलते कई निर्धारित लक्ष्य पूरे नहीं हो पाए हैं। पर्यावरण के मुद्दों को लेकर पूरे देश में बिगड़े हालात को देखते हुए, अखिल भारतीय सेवा ‘भारतीय पर्यावरण सेवा’ का गठन किया जाना समय की आवश्यकता है।

संसद की स्थायी समिति खारिज कर चुकी है रिपोर्ट

संसद की स्थायी समिति इस रिपोर्ट को खारिज कर चुकी है। इसमें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से प्रशासित विभिन्न अधिनियमों की समीक्षा की गई थी। इसमें कहा गया था कि छह पर्यावरण अधिनियमों की समीक्षा के लिए दी गई तीन महीने की अवधि बहुत कम थी। इसमें सिफारिश की गई थी कि सरकार को कानूनों की समीक्षा के लिए एक नई समिति का गठन करना चाहिए।

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