दिल्ली। राजधानी में वायु प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने हरफनामा दायर कर प्रदूषण कम करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी।

दिल्ली सरकार ने हलफनामे में कहा कि 21 नवंबर तक लगाई गई पाबंदियों को 26 नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही पार्किंग का चार्ज तीन से चार गुना बढ़ाने की सिफारिश लोकल बॉडी अथॉरिटी को भेज दिया गया है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि प्रदूषण पहले से कम हुआ है। इस पर सीजेआई ने कहा है कि प्रदूषण तेज हवाओं की वजह से कम हुआ है, ना कि सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के कारण कम हुआ है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने सवाल किया कि आपने क्या किया है।

इस वजह आ रही हवा की गुणवत्ता खराब

दिल्ली में धीमी हवा और कम तापमान के चलते बुधवार को सुबह वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई और सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 357 रहा। तेज हवा चलने से रविवार और सोमवार को वायु गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया गया था। मंगलवार को 24 घंटे का औसतन एक्यूआई 290 रहा था। इस महीने में दूसरी बार एक्यूआई में इतना सुधार देखा गया था, जो इससे पहले एक नवंबर को 281 रहा था. वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बुधवार को, फरीदाबाद में 348, गाजियाबाद में 346, ग्रेटर नोएडा में 329, गुड़गांव में 308 और नोएडा में 320 रहा।

कब कितनी खराब मानी जाती है हवा

बता दें कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शून्य से 50 के बीच रहने पर हवा को अच्छा माना जाता है, जबकि 51 और 100 के बीच एक्यूआई ‘संतोषजनक’ श्रीणी में माना जाता है. वहीं एक्यूआई जब 101 और 200 के बीच रहता है प्रदूषण को ‘मध्यम’, जबकि 201 और 300 के बीच इसे खराब माना जाता है। 301 और 400 के बीच हवा को ‘बेहद खराब’ माना जाता है, जबकि 401 और 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।