पीएम आवास का निर्माण पूरा किए बिना ही निकाल ली राशि, फर्जी जियो टैगिंग का लिया सहारा
पीएम आवास का निर्माण पूरा किए बिना ही निकाल ली राशि, फर्जी जियो टैगिंग का लिया सहारा

टीआरपी डेस्क। कोरबा जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना को फर्जी जियो टैगिंग के जरिये पलीता लगाया जा रहा है। एक आवास मित्र के द्वारा 72 हितग्राहियों के आधे अधूरे छोड़ दिए गए आवासों को जियो टैगिंग में पूर्ण होना दर्शाकर पूरी राशि का आहरण कर लिया गया है। इस फर्जीवाड़े की प्राथमिक जांच में आवास मित्र द्वारा लगभग 86 लाख रुपए का गबन पकड़ में आया है।

कुल 72 हितग्राहियों के नाम आवास हुए थे स्वीकृत

इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक कोरबा जनपद पंचायत के अंतर्गत वनांचल ग्राम श्यांग, सिमकेंदा व सोलवा में कुल 72 हितग्राहियों के नाम वर्ष 2016 से 2019 के मध्य प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत आवास स्वीकृत किए गए। इन आवासों के निर्माण के लिए आवास मित्र चंद्रशेखर को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आवास योजना के लिए प्रथम किश्त के रुपए जारी किए गए। इसके बाद इन सभी आवासों को वर्ष 2018 व 2019 में आवास मित्र के द्वारा पूर्ण करना बता दिया गया।

जियो टैगिंग में भी किया फर्जीवाड़ा

सरकारी योजना के तहत गरीबों के लिए बन रहे आवास के पूर्ण होने की अवधि को दर्शाते हुए आवास की स्थिति पूर्ण बता दी गई, जबकि मकान पूरे बने ही नहीं थे। इस दौरान जहां पर मकान बन रहे हैं वहां की जाने वाली जियो टैगिंग कार्य में भी फर्जीवाड़ा किया गया। आवास मित्र चंद्रशेखर ने फर्जी जियो टैगिंग करते हुए सभी 72 आवासों को पूर्ण बताया।

4 मकान तो बने ही नहीं, बाकी हैं आधे अधूरे

इस गड़बड़ी की शिकायत श्यांग पंचायत के सचिव विनोद कुमार राठिया और ग्रामीणों द्वारा किये जाने पर कोरबा जनपद के सीईओ जीके मिश्रा के द्वारा प्रारंभिक पड़ताल कराई गई जिसमें भौतिक सत्यापन में 38 आवास डोर स्तर, 27 आवास छत स्तर, 3 आवास प्लींथ स्तर तक निर्मित पाए गए और इस आधार पर आवास मित्र चंद्रशेखर ने संपूर्ण राशि का आहरण कर लिया। 1 लाख 20 हजार रुपए शासन की ओर से निर्धारित राशि के मान से 72 आवासों का 86 लाख 40 हजार रुपए होता है जिनमें से अधिकांश रकम को उसने गबन कर लिया है। ग्राम पंचायत सिमकेंदा में मानसिंह यादव पिता नान्हीराम, मान सिंह पिता जांजीराम, रूपम सिंह पिता डिहू राम और चमार राय के आवास का तो निर्माण कार्य ही प्रारंभ नहीं हुआ है। इसके बावजूद आवास पूर्ण बताकर सभी आवासों की राशि निकालकर गबन कर लिया गया है।

पूर्व के अधिकारियों की भूमिका की भी हो जांच

ग्रामीण इलाकों में प्रधानमंत्री आवास के निर्माण का कार्य आवास मित्र के माध्यम से कराया तो जाता है, मगर इसकी मॉनिटरिंग के लिए ब्लॉक कोऑर्डिनेटर भी होते हैं, वहीं निर्माण कार्य भी तीन स्तर पर होता है, जैसे प्लिंथ लेबल तक कार्य की रिपोर्टिंग जियो टैगिंग के साथ ऑनलाइन करनी होती है, साथ ही उसकी तस्वीर भी भेजनी होती है। स्वाभाविक है कि आवास मित्र चंद्रशेखर ने अगर राशि निकाली है तो उसने इसके लिए फर्जी फोटो का इस्तेमाल किया होगा। वहीं ब्लॉक कोऑर्डिनेटर की यह भी जिम्मेदारी होगी कि वह फील्ड में विजिट करके कार्य की प्रगति देखे, इसके अलावा संबंधित ग्राम के सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, जनपद पंचायत कोरबा के स्टाफ और पूर्व सीईओ, इन सब की भी कहीं न कहीं जिम्मेदारी बनती है कि वे निर्माण कार्य की मॉनिटरिंग करें। इस मामले में इन सब की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए।

शासन ने खत्म किया आवास मित्र का पद

प्रधानमंत्री आवास (ग्रामीण ) के लिए आवास मित्रों की नियुक्ति तो की गई मगर सन् 2019 में शासन ने इस पद को ही खत्म कर दिया। अब रुपए गबन करने वाला चंद्रशेखर शासन का कर्मचारी भी नहीं है, ऐसे में उससे रकम की वसूली भी टेढ़ी खीर साबित होगा। यह तो सांप के निकल जाने के बाद लाठी पीटने वाली बात होगी।

दर्ज कराएंगे आपराधिक प्रकरण, वसूली भी होगी : सीईओ मिश्रा

कोरबा जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जीके मिश्रा ने बताया कि श्यांग, सिमकेंदा और सोलवा में 72 प्रधानमंत्री आवासों की राशि आवास मित्र के द्वारा आहरित कर ली गयी है। राशि वसूली के साथ ही आवास मित्र चंद्रशेखर के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण भी दर्ज कराया जाएगा। फिलहाल मामले की जांच चल रही है और निर्माण तथा भुगतान से संबंधित दस्तावेज एकत्र किए जा रहे हैं।

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