टीआरपी डेस्क। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 16 अक्तूबर 2020 को समाप्त सप्ताह में 3.615 अरब डॉलर बढ़कर 555.12 अरब डॉलर की सर्वकालिक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इससे पूर्व नौ अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5.867 अरब डॉलर बढ़कर 551.505 अरब डॉलर हो गया था। 

इसलिए आई बढ़त

आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी की प्रमुख वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) का पर्याप्त ढंग से बढ़ना है। यह कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम हिस्सा है। इस दौरान एफसीए 3.539 अरब डॉलर बढ़कर 512.322 अरब डॉलर हो गया। 

8.6 करोड़ डॉलर बढ़ा स्वर्ण भंडार

रिजर्व बैंक के आंकड़े के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में देश का कुल स्वर्ण भंडार 8.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 36.685 अरब डॉलर हो गया। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिला विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 1.480 अरब डॉलर पर स्थिर बना रहा। आंकड़ों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास जमा देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 1.1 करोड़ डॉलर घटकर 4.634 अरब डॉलर रह गया।

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?

विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार के चार बड़े फायदे

साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है।

अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।

सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय बी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है।

इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।

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