टीआरपी न्यूज़। कोरोना से लड़ने केंद्र सरकार ने अहम फैसला लिया है। इसके तहत एफसीआई (FCI) के पास उपलब्ध अतिरिक्त चावल से सैनिटाइजर ( Hand Sanitizer from Rice ) बनाया जाएगा। सैनिटाइजर के अलावा इस चावल से जो एथेनॉल ( Ethanol ) बनेगा उसे पेट्रोल में मिलाकर बेचा जाएगा। कोरोना वायरस के चलते हैंड सैनिटाइजर की भारी मांग देखी जा रही है। बता दें 2018 की राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति में एथेनॉल ( Ethanol ) बनाने के लिए चावल के उपयोग की अनुमति दी गई है। फिलहाल देश में कच्चे तेल आयात को कम करने और विदेशी आयात कम करने के लिए चावल से एथेनॉल बनाया जाता था। एथाइल अल्कोहल के एथेनॉल के रूप में भी जाना जाता है। यह चीनी से बनने वाला एक उत्पाद है।

छत्तीसगढ़ को इसका सबसे अधिक लाभ

बता दें कि धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ को इसका सबसे अधिक लाभ होगा। इसकी सबसे पहले खबर टीआरपी ने 19 अक्टूबर को दे चुका है। यहाँ ये देखना भी ज़रूरी होगा कि जो कम्पनियाँ प्लांट डाल रही हैं उनके साथ पेट्रोलियम कम्पनियाँ MOU करती हैं की नहीं। क्योंकि केंद्र ने अपना एक पेंच अभी भी फँसा के रखा है और वो है FCI से ख़रीदी का। आसान शब्दों में कहें तो FCI के पास पूरे देश का चावल होता है। ऐसे में अगर छत्तीसगढ़ में एथेनॉल ( Ethanol ) प्लांट लगाने वाली कंपनियां FCI से चावल खरीदेंगी तो यह निश्चित नहीं किया जा सकता कि FCI उन्हें छत्तीसगढ़ के किसानों का ही चावल दे। ऐसे में छत्तीसगढ़ में प्लांट तो लगेगा लेकिन यहाँ के किसानों का चावल कितना इस्तेमाल होगा यह निश्चित नहीं है।

छत्तीसगढ़ में धान की पैदावार पर एक नजर

  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में 37.4 लाख किसान हैं
  • यहां छोटे-बड़े करीब 20 लाख से अधिक किसान धान की खेती करते हैं
  • राज्य में धान कुल रकबा 44 लाख हेक्टेयर है

इतने चावल की जरुरत होगी

चारों इकाईयों की वार्षिक उत्पादन क्षमता एक लाख 17 हजार 500 किलोलीटर एथेनॉल निर्माण की है, जिसके लिए लगभग 3 लाख 50 हजार टन चावल की आवश्यकता होगी।

इन कंपनियों ने किया करार

1. मेसर्स छत्तीसगढ़ डिस्टीलरीज लिमिटेड कुम्हारी

मेसर्स छत्तीसगढ़ डिस्टीलरीज लिमिटेड कुम्हारी द्वारा उक्त परियोजना में 157 करोड़ 50 लाख रुपये का पूंजी निवेश किया जाएगा। इससे 1600 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। उक्त इकाई द्वारा 36 हजार 500 किलोलीटर एथेनॉल और 1825 किलोलीटर अशुद्ध स्प्रिट के उत्पादन का वार्षिक लक्ष्य रखा गया है।

2. मेसर्स चिरंजीवनी रियलकॉम प्रायवेट लिमिटेड बिलासपुर

इसी तरह मेसर्स चिरंजीवनी रियलकॉम प्रायवेट लिमिटेड बिलासपुर द्वारा उक्त परियोजना में 130 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया जाएगा। इससे 118 लोगों को रोजगार मिलेगा। इकाई द्वारा 1.80 करोड़ लीटर एथेनॉल, 1.80 करोड़ लीटर ईएनए तथा 14 हजार 400 टन डीडीजीएस वार्षिक उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

3. मेसर्स क्यूबिको केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड भिलाई

इसी तरह मेसर्स क्यूबिको केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड भिलाई द्वारा उक्त परियोजना में 122 करोड़ 32 लाख रुपये पूंजी निवेश किया जाएगा। इससे 222 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध होगा। इकाई द्वारा 33 हजार किलोलीटर एथेनॉल निर्माण का वार्षिक उत्पादन लक्ष्य रखा गया है।

4. मेसर्स श्री श्याम वेयरहाउसिंग एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड

इसके अलावा मेसर्स श्री श्याम वेयरहाउसिंग एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा उक्त परियोजना में 98 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया जाएगा। इससे 93 व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा। इकाई द्वारा 30 हजार किलोलीटर एथेनॉल निर्माण का वार्षिक लक्ष्य रखा गया है।

FCI के नए पेंच के कारण प्लांट वाले मार्कफ़ेड से या ओपन मार्केट से अगर राज्य के किसानों से चावल लेते हैं तो शायद सरकार की योजना सफल हो सकती है। मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड जिसे मार्कफेड के नाम से जाना जाता है। यह राज्यस्तर की एक इकाई होती है। छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ ‘मार्कफेड’ की स्थापना सहकारी विपणन को बढ़ावा देना है। लेकिन ये प्लांट सिर्फ़ FCI से चावल लेते हैं तो सीधा फ़ायदा राज्य के किसानों को नहीं मिल पाएगा। बहरहाल ये योजना कहीं न कहीं किसानों की उम्मीदों को बढ़ावा जरूर देती है।

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